शोक समाचार : पत्रकार शशांक पाठक का निधन

0

16 अप्रैल। कुछ किरदार ऐसे होते हैं जिन्हें अपने इरादों का परिचय देने की जरूरत नहीं पड़ती। उनकी आंखों की चमक, उनके शब्दों की बयार और उनकी भंगिमा खुद ही बयान करते हैं कि बंदे में दम है। बस इसी दम की दास्तान अधूरी रह गई। शशांक पाठक से परिचय सिर्फ पांच साल पुराना था लेकिन उसकी मेहनत, तार्किक समझ और आदर्शों की उड़ान ने शुरू से ही हमारे दिलों में इक कोना कब्जा लिया था वह खुद तो जीवन यात्रा पूरी कर चला लेकिन हम सबके दिलों के उस कोने में ताउम्र छुपा रहेगा। गाहे-बगाहे उसकी याद सिर उठाती रहेगी, कभी कचोट जाएगी तो कभी खिलखिलाती हुई कोई बात उमड़ आएगी।

आईआईएमसी से पत्रकारिता पढ़ने के बाद शशांक राज्यसभा टीवी से जुड़ गया था। अमृता राय की टीम में इंटर्न बना था। उसके प्रोफेशनलिज्म में सामाजिक सरोकार और कुछ कर दिखाने की जिजीविषा ने जल्द ही हमें प्रभावित कर लिया और कुछ यूं किया कि जब हमने हिंद किसान शुरू किया और फिर स्वराज एक्सप्रेस  बनाया तो शशांक सबसे पहला व्यक्ति था जिसे हमने जुड़ने का न्योता दिया। पिछले दो साल में शशांक ने अपने विचारों को खूब धार, राजनीतिक समझदारी स्पष्ट की और एक खांटी, श्रेष्ठ पत्रकार के रूप में सामने आया। जब स्वराज एक्सप्रेस का सफर रुका, तो हमने शशांक से आग्रह किया कि हिंदकिसान से जुड़ा रहे। ये उसकी क्षमताओं में हमारा विश्वास था। वह जुड़ा तो रहा लेकिन उसकी आत्मा किसान आंदोलन के बीच उतरकर रिपोर्टिंग के लिए तड़पती रही। वो बैठ नहीं सकता था। उसे बस उड़ना आता था। इसीलिए तनख्वाह का मोह छोड़कर, बिना किसी सपोर्ट के, रिपोर्टिंग में वापस चला गया।

किसान आंदोलन में उसकी रिपोर्टिंग खूब खिलकर आई। साथ ही उसका खिलखिलाता स्भाव इस मुश्किल दौर में पत्रकारिता को सहज रूप से निखारता गया। जिसे उड़ना आता था उसकी उड़ान को किसान आंदोलन का आकाश मिल गया था अफसोस कि इसी उड़ान को भरते-भरते वो आज अचानक इतनी दूर चला गया कि न वो वापिस आ सकता है न हमारी आवाज उस तक पहुंच सकती है, न ही हजारों किसानों की दुआएं अब बुला सकती हैं।

अंत में इतना भर और कहूंगा। बाइक से यात्राएं अब ठीक नहीं। हमारे यहां ट्रैफिक सिस्टम पगला चुका है। लोगों के हाथों में पावर स्टीयरिंग हैं लेकिन मिजाज उससे मैच नहीं करते। जिंदगियों का यूं चले जाना ठीक नहीं है। शशांक के निधन पर किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अभी पता लगा कि निर्भीक, जन सरोकारी और प्रतिबद्ध पत्रकारिता के वाहक युवा पत्रकार भाई शशांक पाठक की आज सुबह एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई। किसान आंदोलन ने एक सच्चा मित्र खो दिया। श्रद्धांजलि।

—शिवकुमार मिश्रा

specialcoverage.in से साभार 


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment