23 अप्रैल। सयुंक्त किसान मोर्चा की बैठक में निर्णय लिया गया कि किसानों के मोर्चों पर सेनिटेशन व साफ सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा। किसानों को मास्क आदि वितरित किये जायेंगे। प्रशासन ने धरने के आसपास वैक्सीनेशन सेंटर बनाये हैं, वहां किसान जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। लक्षण दिखने पर जांच करवाई जाएगी। मोर्चों पर किसान पहले ही भरसक दूर दूर खुले में रह रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा इन कृषि कानूनों के खिलाफ होने के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ भी लड़ रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने ताजा बयान में कहा है कि कोरोनावायरस लॉकडाउन में जब सब लोग घरों में कैद थे तब “आपदा में अवसर” खोजते हुए सरकार ने किसान विरोधी व जन विरोधी कृषि कानून देश पर थोपे। स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने की बजाय कॉरपोरेट घरानों को खुश रखने के सभी प्रयास सरकार ने किए। आज भी भाजपा के लिए चुनाव महत्वपूर्ण है न कि देश की जनता। भाजपा के पास यह विकल्प है कि वे चुनावी रैली करें या न करें, पर किसानों के पास विरोध करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। किसान अपना विरोध वापस ले लेंगे अगर सरकार खेती कानून वापस ले व एमएसपी पर कानून बना दे।
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