किसान मोर्चे से अस्पतालों में जाएगा खाना

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26 अप्रैल। सयुंक्त किसान मोर्चा के घटक संगठनों के समन्वय के तहत दिल्ली के बार्डर्स पर बैठे किसानों द्वारा दिल्ली के अस्पतालों में खाने के पैकेट व अन्य जरूरी वस्तुएं भेजी जाएंगी। गाज़ीपुर बॉर्डर पर पहले से ही किसान मोर्चे के वालंटियर दिल्ली के बस अड्डों, स्टेशनों व अस्पतालों में खाना वितरित कर रहे हैं। कल से सिंघु बॉर्डर पर भी पैकिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टिकरी बॉर्डर पर एक समूह ने सेवाओं की घोषणा करते हुए कहा है कि दिल्ली में किसी भी जरूरतमंद को खाने की समस्या है तो वे किसान मोर्चे से संपर्क कर सकते हैं।

सरकारी तंत्र के फेल होने पर देश के नागरिक खुद एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल होने पर लोगों का एक दूसरे की सेवा करना बंधुत्व और एकता की मिसाल है। किसान मोर्चे के रास्ते में जो भी ऑक्सीजन या अन्य सेवाएं लेकर वाहन पहुंच रहे हैं, वालंटियर उन वाहनों को पूरी मदद करके गन्तव्य स्थान पर पहुँचने में मदद कर रहे हैं। किसानों का यह आंदोलन मानवीय मूल्यों का आदर करता है।

किसान नेताओं का कहना है कि हम कोरोना संक्रमण के तकनीकी पक्ष से वाकिफ हैं परंतु सरकार इसे अपने लिए ढाल न बनाए। कोरोना से लड़ने की बजाय इसके बहाने देश में विरोध की आवाज को सरकार नहीं दबा सकती। किसान अपनी फसल के उचित दाम के लिए लड़ रहे हैं जो कहीं से भी नाजायज नहीं है। कॉरपोरेट घरानों को खुश रखने की चाह में किसानों के आंदोलन को खत्म करना सरकार का इरादा हो सकता है परंतु किसान तीनों कानूनों की वापसी व एमएसपी की कानूनी गारंटी न मिलने तक इस आंदोलन को वापस नहीं लेंगे।

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