9 मई। कोविड के इस दौर में जहां बहुत से लोगों ने अपने किसी परिजन या प्रियजन को खो दिया है, वहीं नताशा नरवाल ने भी अपने पिता को खो दिया है। महावीर नरवाल को दुनिया एक बहादुर पिता के रूप में याद रखेगी। मौजूदा निजाम के झूठों और क्रूरताओं की नित लंबी होती गई दास्तान में यह वाकया भी कभी भुलाया नहीं जा सकेगा कि सीएए विरोधी आंदोलन में मुखर रही दो लड़कियों नताशा नरवाल और देवांगना कलीता को किस तरह दिल्ली दंगे के मामलों में फंसाने की कोशिश की गई और उनपर आतंकवाद निरोधक धाराएं लगाई गईं। कई और भी लोगों के साथ ऐसा किया गया।
लेकिन नताशा के साथ सरकार ने झूठ और क्रूरता भरा जो व्यवहार किया उससे महावीर नरवाल तनिक भी विचलित नहीं हुए, बल्कि सीएए के विरोध को सही ठहराते हुए वह यही कहते रहे कि उनकी बेटी जेल से और मजबूत बनकर लौटेगी। बेशक नताशा जब भी जेल से बाहर आएंगी, एक वीरांगना की तरह आएंगी। लेकिन अफसोस कि महावीर नरवाल अपनी बेटी को देखने के लिए नहीं होंगे।