11 मई। शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर आज लगातार 149वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी रहा। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए डॉ.संजय ‘माधव’ ने कहा कि सरकार को यह मुगालता नहीं पालना चाहिए कि किसान आंदोलन कमजोर पड़ रहा है। असलियत यह है कि गेहूं की फसल का काम निपटाने के बाद किसान अगले छह महीने की तैयारी कर रहे हैं। जल्द ही बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच जाएंगे।
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि यह आंदोलन अब एक युद्ध बन गया है। इस बार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उ.प्र. व अन्य राज्यों के लोग बड़ी धनराशि दान कर व्हट्सएप ग्रुपों में रसीदें डाल रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व उ.प्र. में बड़ी संख्या में गांवों से दिल्ली आने की तैयारी चल रही है। आनेवाले दिनों में बड़ी संख्या में किसान, मजदूर और छोटे व्यापारी फिर से दिल्ली के आसपास के सभी मोर्चों में शामिल होंगे। कोरोना काल में सरकार द्वारा किसी भी धरने के दौरान कोई दवा, कोई स्वास्थ्य सुविधा और कोई सलाह संगोष्ठी आयोजित नहीं की गई, किसान स्वयं अपने खर्चे से सभी सुविधाओं का इंतजाम कर करोना गाइडलाइन का पालन करते हुए आंदोलनरत हैं।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि कारपोरेट की हितैषी केंद्र सरकार की नीतियों के कारण जहाँ एक ओर मुकेश अंबानी जैसे पूंजीपतियों की कमाई बढ़कर 90 करोड़ रुपये प्रति घंटा हो गई है वहीं दूसरी ओर हमारे किसान, मजदूर और छोटे व्यापारी अपने काम-धंधे और व्यवसाय खो रहे हैं। कैसे आए दिन ये कॉरपोरेट घराने किसानों और मजदूरों का खून चूसते हैं ये इसकी एक बानगी है। इन्हीं पूंजीवादी नीतियों के कारण देश में आर्थिक खाई चौड़ी हो रही है।
मोदी सरकार के सत्ता में आने से अच्छे दिन तो नहीं आए मगर किसानों का खून चूसनेवाले दिन जरूर आ गए। काले कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के कारण हालिया चुनाव परिणाम दिखा रहे हैं कि भाजपा दिन-प्रतिदिन पतन की ओर बढ़ रही है। साफ है कि इस संघर्ष में किसानों की शहादत व्यर्थ नहीं गई। सरकार को ये काले कानून हर हाल में निरस्त करने होंगे।
शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर आज की समूह चर्चाओं और रोजा-इफ्तार में अमराराम, रामकिशन महलावत, राजाराम मील, बलवीर छिल्लर, तारा सिंह सिद्धू, पेमाराम, गणपत सिंह, मदन सिंह यादव, रूड सिंह महला, मा.रघुवीर सिंह, ज्ञानी राजवीर सिंह, महावीर सिंह सरपंच, अनिल भेरा, जय सिंह जनवास, ओमप्रकाश, कुलदीप मोहनपुर, ज्ञानीराम, बाबा जैमल सिंह, बाबा सुखदेव सिंह, पृथ्वी सिंह, मौलाना दिलशाद, अमजद भाई, फजरु भाई, साजिद भाई, अब्दुल भाई, पवन दुग्गल, अंकुश सोलंकी, नवीन नागौर, हरिशंकर मांडिया, चिरंजीलाल, सुरेन्द्र खोखर, प्रह्लाद मांडोवी, काला मंडार, लखवीर सिंह, बेअंत सिंह, जितेन्द्र मोमी, गुरजीत सिंह, बहादुर सिंह, हृषिकेश कुलकर्णी, सतपाल यादव, निशा सिद्धू, अवतार सिंह, विक्रम राठौड़, अजमेर सैनी, रामरतन बागड़िया ,आनंद यादव, राजबाला यादव,जुनैद भाई समेत कई साथी शामिल हुए।