17 मई। हरियाणा के हिसार में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के राज्यव्यापी विरोध ने आखिरकार खट्टर सरकार को बचाव की मुद्रा में ला दिया। किसानों की ताकत के आगे झुकते हुए खट्टर सरकार ने गिरफ्तार सभी 85 किसानों को सोमवार को रिहा कर दिया। इनमें 65 पुरुष थे और 20 महिलाएं। राज्य सरकार ने यह मांग भी मान ली कि इस घटना की बाबत किसी भी किसान पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं किया जाएगा। किसानों के अनेक वाहन जो पुलिस ने जब्त कर लिये थे उन्हें भी छोड़ने का फैसला हुआ है।
उपर्युक्त मांगें माने जाने के बाद हरियाणा के किसानों ने वे सारे हाईवे खोल दिए जो लाठीचार्ज किए जाने और आंसूगैस के गोले छोड़े जाने के विरोध में जाम किए गए थे। विरोधस्वरूप दूसरे दिन राज्य में थानों का प्रस्तावित घेराव भी वापस ले लिया गया।
गौरतलब है कि हिसार में मुख्यमंत्री के दौरे का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज, आंसूगैस और पथराव से दर्जनों किसानों को गहरी चोटें आई थीं। इसपर आक्रोश जताते हुए, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने पूरे हरियाणा में दो घंटे के लिए हाईवे जाम कर दिए थे। गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश टिकैत, विकास सीसर व सुमन हुड्डा समेत कई किसान नेताओं ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर किसानों का हाल जाना तथा गिरफ्तार 85 किसानों की रिहाई और किसी भी किसान पर मुकदमा न करने की मांग की थी। ये मांगें मान लिये जाने से जाहिर है कि खट्टर सरकार को किसानों की ताकत के आगे झुकना पड़ा। सरकार के प्रतिनिधियों से वार्ता के लिए किसानों की तरफ से दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई गुरनाम सिंह चढूनी, विकास सीसर व सुमन हुड्डा ने की।
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