25 मई। युवा आंदोलन ‘युवा हल्ला बोल’ ने आगामी खनन परियोजना के लिए बक्सवाहा में वनक्षेत्र की कटाई के भाजपा सरकार के प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं।
युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर गोविंद मिश्रा ने कहा, “मध्य प्रदेश में बक्सवाहा वन के सफाए की योजना बहुत चिंताजनक और नुकसान पहुंचानेवाली है। वन विभाग के अनुसार इस परियोजना के लिए 2 लाख से अधिक पेड़ काटने होंगे। ये विनाशकारी योजनाएं हीरा खनन के लिए प्रस्तावित हैं जिसका कोई निर्णायक सर्वेक्षण आधारित साक्ष्य नहीं है।”
बीस साल पहले बंदर हीरा परियोजना के तहत इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था। दो साल पहले, आदित्य बिड़ला समूह की ईएमआईएल ने सरकार से नीलामी लाइसेंस पाया था। इस लाइसेंस में कई विरोधाभास का अंदेशा है, क्योंकि हीरा खनन के तहत चिह्नित क्षेत्र 62 हेक्टेयर है, लेकिन कॉर्पोरेट समूह अब भूमि विस्तार गतिविधियों के लिए 382 हेक्टेयर वन की मांग कर रहा है। इससे पहले एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो-टिंटो,जिसे इस जमीन पर काम करने का लाइसेंस मिला था, उसने किम्बरलिटेल पाया था। कॉर्पोरेट समूहों और सरकार द्वारा बनाई गई धारणा का एकमात्र यही आधार है।
युवा हल्ला बोल के मुख्य प्रवक्ता ऋषव रंजन जिन्होंने आरटीआई के माध्यम से जानकारी भी माँगी है उन्होंने कहा, “यह चिंताजनक है कि सरकार बिना किसी ऐसे निर्णायक अध्ययन के, जो जंगल में हीरे की उपस्थिति साबित करता हो,आगे बढ़ने की योजना बना रही है। इससे भाजपा सरकार की मंशा पर शक पैदा होता है। हम पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर से इस विनाशकारी परियोजना को मंजूरी नहीं देने की मांग करते हैं।”
युवा हल्ला बोल के पर्यावरण अनुसंधान कार्यबल की एक सदस्य अंकिता चौहान ने कहा, “वर्तमान में फैल रही महामारी ने लोगों को प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के महत्त्व का अहसास कराया है। ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन मानव जाति के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है, हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते हैं और न ही 2 लाख से अधिक पेड़ों को खोने का खतरा मोल ले सकते हैं।”
युवा हल्ला बोल की राष्ट्रीय परिषद की सदस्य छाया भारद्वाज ने कहा, “युवा हल्ला बोल ने चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। ऐसे दिग्गज पर्यावरणविद को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि बक्सवाहा जैसे मुद्दों के लिए लड़ते रहा जाए।”
युवा हल्ला बोल के ऋषव रंजन द्वारा दायर आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकारी कुछ इस प्रकार है :
1. क्या कोई सर्वेक्षण किया गया था जिसमें उस क्षेत्र में हीरे की संभावना पाई गई थी? यदि हां, तो कितने नमूने लिये गए? सर्वेक्षण रिपोर्ट की एक प्रति साझा करें।
2. उस क्षेत्र में वन्यजीवों की क्या स्थिति है? उस क्षेत्र में पाए जानेवाले या मौजूद जानवरों की संख्या का उल्लेख करें। वन विभाग या मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट साझा करें।
3. पेड़ काटने के बाद किस प्रकार के पेड़ प्रभावी रूप से खो देने का अंदेशा है?
4. क्या नीलामी से पहले पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) की प्रक्रिया शुरू की गई थी? यदि हां, तो स्थिति क्या है ?
5. क्या बक्सवाहा वन में कोई जानवर है जो IUCN रेड लिस्ट में सूचीबद्ध है?