नमामि गंगे प्रोजेक्ट के सीवर में दफ़न हुए 2 सफ़ाई कर्मचारी, मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस

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20 जून। कानूनी रूप से देश में मैला प्रथा पर रोक है। भारत सरकार ने मैला प्रथा निर्मूलन व सीवर मौतों को रोकने हेतु मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013) बनाया था जिसके अंतर्गत सेप्टिक टैंक या सीवर में मजदूरों को घुसाने पर रोक है तथा इसके उल्लंघन पर 2 साल तक की सजा का भी प्रावधान है।

बावजूद इसके यह प्रथा आज भी देश में जीवित है। विभिन्न कंपनिया भी इसका फायदा उठाने से बाज नहीं आती हैं। जिसके चलते जहरीली गैस आए दिन मजदूरों की जान लीन रही है।

ऐसी ही एक घटना में 31 मई को पटना के बेऊर जेल के पास चल रहे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत एलएनटी द्वारा नाला निर्माण के दौरान चैंबर में उतरे दो मजदूरों इदरिस (29) और मो. इकबाल (26) की सीवर में सफाई के दौरान दम घुटने से मौत हो गई। दोनों मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे।

प्रत्यक्षदर्शी सहकर्मी ने बताया था कि एलएनटी द्वारा बनाए गए नाले में बेउर की ओर से आ रहे पानी की निकासी के लिए सफाई करने को मो. इकबाल 30 फीट गहरे चैंबर में उतरा था। चैंबर में उतरने के कुछ मिनट बाद ही उसका दम घुटने लगा। यह देखकर उसका साथी शोर मचाते हुए उसे बचाने के लिए चैंबर में उतर गया। दोनों की चैंबर में दम घुटने से मौत हो गई।

सीवर में सफाई कर्मियों को घुसने को मजबूर करने पर वैधानिक रोक होने के बावजूद दोनों सफाई कर्मियों को एल एंड टी कम्पनी ने 30 फीट गहरे सीवर में बिना किसी मास्क या सेफ्टी किट के बगैर उतार दिया था। सीवर के अंदर मौजूद जहरीली गैस ने उनकी जान ले ली। दो मजदूरों की मौत के बाद गुस्साए लोगों ने इसके लिए कंपनी को जिम्मेदार ठहराया।

इस घटना में प्रशासन ने न तो दोषी कम्पनी के खिलाफ कोई कार्रवाही की न ही मृतक के परिवारों को कोई मुआवजा प्राप्त हुआ। पटना जिलाधिकारी की तरफ से भी इस बाबत कोई कार्रवाही नहीं की गई।

जिसके बाद बिहार लीगल नेटवर्क ने पत्र भेजकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया।

आयोग ने इसपर कार्रवाही करते हुए घटना का संज्ञान लेते हुए उक्त घटना में पटना जिला के जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह से छह हफ्ते के अंदर ऐक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगा है।

गौरतलब है कि प्रावधान के अंतर्गत ना सिर्फ व्यक्ति बल्कि कम्पनी के ऊपर की भी कार्रवाही का प्रावधान है। इस अधिनियम के सभी प्रावधान जिसमें मैन्यूअल स्कैवेंजिंग को रोकने से लेकर, उनको मुआवजा दिलाना, ऐसी घटना का अनुसंधान कराना और दंडित करना भी शामिल है। ये सभी शक्तियां जिला अधिकारी को प्राप्त है।

अमित सिंह 

( workersunity.com से साभार )

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