4 जुलाई। खरगोन (म.प्र.) जिले की सेंचुरी यार्न और डेनिम कंपनी के 1000 से ज्यादा मजदूरों को कंपनी द्वारा अवैधानिक रूप से वीआरएस का नोटिस दिए जाने के खिलाफ आक्रोश है। गौरतलब है कि कंपनी के मजदूर श्रमिक जनता संघ के नेतृत्व में पिछले 44 माह से आंदोलनरत हैं। श्रमिकों के पक्ष में अदालतों के फैसले और कई समझौता बैठकों के बाद निर्णय हुआ था कि या तो मिल बिड़ला समूह चलाए या फिर मजदूरों को ₹1 न्यूनतम लीज पर मिल सोंपे, ताकि मजदूर काम कर उत्पादन कर सकें। लेकिन उन निर्णयों का पालन न करते हुए मिल प्रबंधन ने 29 जून को अवैधानिक रूप से सभी मजदूरों से वीआरएस लेने का नोटिस लगा दिया, जिसके खिलाफ मजदूरों में आक्रोश है।
श्रमिक जनता संघ के अध्यक्ष तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने इंदौर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि सेंचुरी मिल के मालिक व प्रबंधन ने अवैधानिक रूप से वीआरएस का नोटिस लगाया है। जिन यूनियनों की मिल में कोई सदस्यता नहीं है या नाममात्र की सदस्यता है तथा जिसके बारे में श्रम आयुक्त के नोटिस के बाद भी वे अपनी सदस्यता सत्यापित नहीं कर पाए हैं, ऐसी यूनियनों से चर्चा करके मिल ने मजदूरों की पीठ में छुरा भोंकने का काम किया है।
पत्रकारों से बातचीत में श्रमिक नेताओं ने आगे कहा कि मजदूरों में इसके खिलाफ आक्रोश है और वे फिर आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। हम सड़क की और कानून की, दोनों तरह की लड़ाई लड़ेंगे और मिल को चलाकर ही मानेंगे। प्रबंधकों द्वारा मिल बेचने की जो साजिश रची जा रही है उसके खिलाफ 90 फीसद मजदूर हैं और वे वीआरएस लेने को तैयार नहीं हैं।
पत्रकार वार्ता में मौजूद श्रमिक जनता संघ के राजकुमार दुबे, जगदीश खैरालिया, संजय चौहान, ज्योति भदाने और श्याम भदाने ने बताया कि कोई भी मजदूर मिल को बंद करने और वीआरएस लेने के पक्ष में नहीं है। हम मिल चलाकर उत्पादन करना चाहते हैं। जिस तरह से प्रबंधकों ने अवैधानिक तरीके से राज्य शासन की स्वीकृति के बगैर वीआरएस के नोटिस लगाए हैं यह हम मानने को तैयार नहीं हैं और मेधा पाटकर के नेतृत्व में आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। दमन के आगे झुकेंगे नहीं तथा अदालत का भी दरवाजा फिर से खटखटाएंगे।
मेधा पाटकर ने पत्रकारों को बताया कि 3 जुलाई की शाम सेन्चुरी कंपनी के गेट पर सत्याग्रह स्थल पर सैकड़ों की तादाद में मजदूर और अनुविभागीय अधिकारी और कसरावद के एसडीएम संघप्रिय जी ने सेंचुरी प्रबंधक और अधिकारियों को श्रमिक जनता संघ के साथ चर्चा के लिए बिठाया जिसमें अनिल दुबे, शेखावत, जनता श्रमिक संघ की अध्यक्ष मेधा पाटकर सहित बड़ी संख्या में मजदूर उपस्थित थे। और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि फर्जी तरीके से सेन्चुरी के प्रबंधक मिल बेचने की कोशिश करेंगे तो उसका मजदूर विरोध करेंगे।
चर्चा में साफ रूप से श्रमिक संघ की ओर से कहा गया कि वीआरएस के नोटिस कानूनी प्रक्रिया का खुला उल्लंघन हैं तथा श्रमिकों की ओर से राजकुमार दुबे, दुर्वेगेश किससे, नवीन मिश्रा, ज्योति भदाने आदि ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमें वीआरएस नहीं रोजगार चाहिए। पत्रकार वार्ता में मौजूद रामस्वरूप मंत्री व प्रमोद नामदेव ने कहा कि मिल चलाया जाना ही एकमात्र विकल्प है और यदि औद्योगिक अशांति फैलती है तो उसके लिए मिल प्रबंधन और शासन ही जिम्मेदार होगा। सेन्चुरी के श्रमिकों के साथ इंदौर और पूरे मध्यप्रदेश के श्रमिक, किसान संघर्ष में साथ रहेंगे।
– रामस्वरूप मंत्री ,9425902303