17 जुलाई। हरियाणा के सिरसा में कुछ किसानों पर राजद्रोह का केस लगाए जाने का मसला तूल पकड़ता जा रहा है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के औचित्य पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा है और दूसरी तरफ हरियाणा पुलिस विरोध प्रदर्शन पर राजद्रोह का केस बना देती है। यह सरकार के इशारे या आदेश के बिना नहीं हो सकता। राजद्रोह का केस थोपे जाने से साफ है कि गैर जमानती धारा लगाकर किसानों को डराना चाहती है। लेकिन ऐसे हथकंडे से किसान आंदोलन दबने या खत्म होने वाला नहीं है, बल्कि इससे किसानों में आक्रोश और बढ़ रहा है। राजद्रोह का आरोप लगाने के खिलाफ आज शनिवार को सिरसा में किसानों की महापंचायत हो रही है, जिसमें किसानों के भारी संख्या में शामिल होने का अनुमान है।
22 जुलाई से किसानों के संसद पर विरोध मार्च को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मार्च में शामिल वाले किसानों को आईडी कार्ड जारी किया जाएगा। क्रांतिकारी किसान संघ की महिला किसानों की विशाल टुकड़ी सिंघू सीमा पर शुक्रवार को शामिल हुई।
संयुक्त किसान मोर्चा ने चंडीगढ़ पुलिस द्वारा बाबा लाभ सिंह की अवैध हिरासत की निंदा की; किसान आंदोलन के समर्थन में मटका चौक पर बाबा कई महीनों से धरने पर बैठे थे; किसानों के दबाव में रात 11 बजे बाबा को छोड़ा गया।
मोर्चा ने भाजपा नेता द्वारा दुर्व्यवहार के विरोध में 18 जुलाई को रोहतक में महिला महापंचायत की घोषणा की है। युवा किसानों ने बरनाला में राज्य सम्मेलन की घोषणा की है। न्यूजीलैंड के किसानों ने दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में प्रदर्शन किया। प्रख्यात अर्थशास्त्री रणजीत सिंह घुम्मन ने टिकरी सीमा का दौरा किया और किसानों को संबोधित किया, किसान आंदोलन को समर्थन व्यक्त किया। इन घटनाओं से जाहिर है कि किसान आंदोलन और तेज हो रहा है।
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