सेंचुरी के सैकड़ों श्रमिकों के साथ मेधा पाटकर गिरफ्तार

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3 अगस्त। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में सेंचुरी कंपनी के श्रमिकों का आंदोलन जबरदस्ती वीआरएस देने के खिलाफ पैंतालीस महीनों श्रमिक जनता संघ के नेतृत्व में चल रहा है और हमेशा शांतिपूर्ण रहा है। लेकिन सेंचुरी का मैनेजमेंट प्रशासन के साथ मिलीभगत करके दमन के सहारे इस आंदोलन को खत्म करना चाहता है। मंगलवार को तीन जिलों की पुलिस ने घेराबंदी करके सैकड़ों श्रमिकों के साथ मेधा पाटकर पाटकर को भी गिरफ्तार कर लिया।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम ने मेधा पाटकर और उनके  साथ सेंचुरी के सात सौ श्रमिकों को गिरफ़्तार किये जाने तथा प्रशासन द्वारा सत्याग्रह स्थल नष्ट कर टेंट सहित सभी सामान जब्त किये जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए  कहा  है कि 1387 दिनों से शान्तिपूर्ण तरीके से चल रहे सत्याग्रह को पुलिस बल लगाकर अभद्र तरीके से खत्म कराना घोर अलोकतांत्रिक है। विशेष तौर पर तब जबकि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने बताया कि किसान संघर्ष समिति और प्रदेश के अन्य जन संगठनों ने 30 जिलों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर श्रमिकों के पक्ष में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। लेकिन श्रमिको को न्याय देने की बजाय सरकार ने  पुलिस दमन का रास्ता अपनाया।

डॉ सुनीलम ने बताया कि रोज की तरह सत्याग्रह पंडाल में सेंचुरी के श्रमिक, महिलाएं और बच्चे बैठे हुए थे। अचानक अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार और सैकड़ों की संख्या में पुलिस और महिला पुलिस ने आंदोलनकारियों पर हमला बोल दिया। जबरदस्ती  घसीटकर सबको गाड़ियों में ठूंस दिया। सत्याग्रह पंडाल से 700 से अधिक श्रमिकों को गिरफ्तार किया गया जिनमें महिलाएं भी थीं। इनमें से 200 से अधिक को कसरावद फाटे के पास उतार दिया गया। कुछ को रास्ते में जबरदस्ती  उतारा गया। पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिलाओं को डंडों से मारा। सैकड़ों श्रमिकों के कपड़े फाड़ दिये। महिलाओं और पुरुषों को एक ही गाड़ी में जानवरों की तरह ठूंसा गया। साढ़े तीन सौ से अधिक श्रमिकों को आईटीआई स्कूल कसरावद में दिनभर भूखे  रखा गया।

100 से अधिक महिलाओं को शासकीय महाविद्यालय कसरावद ले जाया गया। कुछ महिलाओं को मेधा पाटकर जी के साथ एनवीडीए रेस्ट हाउस में रखा गया। शाम को पांच  बजे भोजन के पैकेट लाये गये। श्रमिकों ने  गिरफ्तार महिलाओं और श्रमिक जनता संघ की अध्यक्ष मेधा पाटकर  को श्रमिकों के बीच पहले लाने की मांग की, जिसे प्रशासन के द्वारा नहीं माने जाने पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया।

पुलिस द्वारा  बल प्रयोग के कारण बीस से अधिक महिलाओं और पुरुषों को गंभीर चोट आयी, जिनमें पांच महिलाओं को खरगोन अस्पताल रेफर किया गया। शेष का इलाज कसरावद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों द्वारा किया गया।गिरफ्तारी के बाद श्रमिकों के बच्चों ने मिल गेट के सामने धरना दिया।

डॉ सुनीलम ने बताया कि कुमार मंगलम ने 450 करोड़ रुपये का मुनाफा कोरोना काल में कमाया है। लेकिन पहले 426 करोड़ की मिल को ढाई करोड़ में  बेचने का नाटक किया गया। रजिस्ट्री फर्जी साबित हुई। अब 62 करोड़ में मनजीत ग्लोबल को रजिस्ट्री का दावा किया जा रहा है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि पहले धारा 144 की आड़ में श्रमिकों को हटाने का प्रयास किया गया। फिर कहा गया कि श्रमिकों ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है इसलिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गयी है।

देर रात श्रमिकों पर 107 ,109,151 की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किये गये तथा 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया गया।

किसान संघर्ष समिति और जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय ने श्रमिकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने, फर्जी रजिस्ट्री को रद्द करने और 1000 श्रमिकों को रोजगार देने की मांग की है।

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