आज किसान मजदूर आजादी संग्राम दिवस

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15 अगस्त। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर तमाम किसान संगठन और किसान स्वाधीनता दिवस को किसान मजदूर आजादी दिवस के रूप में मना रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया था कि इस दिन किसी एक स्थान पर बड़ी रैली नहीं होगी, बल्कि विकेंद्रित रूप से कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। किसान अपने ट्रैक्टरों, अन्य वाहनों, घरों पर तिरंगा लहराएंगे, स्थानीय तौर पर ट्रैक्टर मार्च या पैदल मार्च करेंगे। इस निर्णय के अनुरूप कार्यक्रम किये जाने की खबरें पूरे देश से मिल रही हैं।

हरियाणा में एक-दो जगह बड़े जुलूस भी निकाले जा रहे हैं। रेवाड़ी के टांकरी से शाहजहांपुर बार्डर तक कांवड़ तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है जिसमें योगेन्द्र यादव भी शामिल हैं। कई स्थानों पर रिहर्सल के तौर पर, एक दिन पहले भी, ट्रैक्टरों पर तिरंगा लगाकर किसानों ने मार्च किया। दिल्ली के बार्डरों पर यानी धरना स्थलों पर तिरंगा लगाये ट्रैक्टरों, अन्य वाहनों से तथा पैदल चलकर किसान लगातार पहुंच रहे हैं, जहां वे स्वतंत्रता दिवस को आंदोलन की तर्ज पर मनाएंगे। ट्रैक्टरों पर तिरंगे के साथ ही तीनों किसान विरोधी कानून वापस लेने और एमएसपी का कानून बनाने की मांग लिखे बैनर भी किसानों ने लगा रखे हैं। इस तरह किसान आंदोलन ने इस बार के आजादी दिवस को एक विशेष अर्थ दिया है- हमें काले कानूनों और अन्यायपूर्ण नीतियों से भी आजादी चाहिए।

इस बीच तमिलनाडु से सैकड़ों किसानों का एक बड़ा जत्था दिल्ली पहुंचा, धरना स्थलों पर पहुंचकर आंदोलन के साथ खड़े रहने का निश्चय दोहराया। मध्यप्रदेश के बड़वानी में 17 अगस्त को नर्मदा बचाओ आंदोलन के छत्तीस साल पूरे होने के अवसर पर एक विशाल जन संसद आयोजित हो रही है जिसमें राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव समेत अनेक किसान नेता सम्मिलित होंगे। इस तरह किसान आंदोलन का जहां भौगोलिक विस्तार हो रहा है वहीं यह आदिवासियों, मछुआरों तथा अन्य तबकों के संघर्षों से भी जुड़ता जा रहा है।

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