तमाम बंदिशों के बावजूद करनाल महापंचायत में उमड़ा किसानों का हुजूम

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7 सितंबर। किसानों के ‘सिर फोड़ने’ का आदेश देनेवाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने से सरकार के इनकार करने के बाद, मंगलवार को दो लाख से अधिक किसान करनाल अनाज मंडी में किसान महापंचायत के लिए इकट्ठा हुए। किसान संगठनों ने हरियाणा सरकार को 6 सितंबर तक कार्रवाई करने या विरोध का सामना करने का अल्टीमेटम जारी किया था। यह अल्टीमेटम जारी करने का निर्णय 28 अगस्त को पुलिस हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप एक किसान की मौत और अनगिनत अन्य घायल हुए, के बाद लिया गया था।

तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिस को सीधे तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था। हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर ने अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनके कार्य का खुलकर समर्थन किया। किसानों ने मांग की कि अधिकारी को बर्खास्त किया जाए, सरकार ने इसके बजाय उन्हें पदोन्नत कर दिया। किसानों ने अधिकारी को बर्खास्त करने और उस पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग के अलावा शहीद सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की थी। ऐसा न करने पर करनाल लघु सचिवालय का घेराव करने की चेतावनी दी गयी थी। जब हरियाणा सरकार ने किसानों की मांग मानने से इनकार कर दिया, किसान विरोध की अपनी योजना के साथ आगे बढ़े।

कल मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत में किसानों की संख्या देख, हरियाणा प्रशासन ने करनाल में धारा 144 लागू कर दी और पांच जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दीं। करनाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 10 कंपनियों समेत सुरक्षा बलों की 40 कंपनियों की टुकड़ी तैनात कर दी गयी। सरकार की चिंता किसान आंदोलन की शक्ति को साबित करती है।

सोमवार की शाम को संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया कि सरकार की ओर से डाली जा रही तमाम बाधाओं के बावजूद किसान महापंचायत योजना के अनुसार आगे बढ़ेगी। मंगलवार को एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शनपाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत आदि करनाल पहुंचे। सुबह 10 बजे तक अनाज मंडी लोगों से खचाखच भर गयी। 2 लाख से अधिक लोग किसान आंदोलन की असाधारण ताकत के प्रदर्शन में, और शहीद सुशील काजल को श्रद्धांजलि के रूप में, एकत्रित हुए।

प्रशासन ने आखिर में किसान महापंचायत की अनुमति दी, लेकिन किसानों को लघु सचिवालय तक मार्च करने से मना कर दिया। प्रशासन से बातचीत के लिए 11 किसानों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया। एसकेएम ने कहा कि किसान बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। हालांकि, जैसा कि प्रशासन ने मांगों को स्वीकार करने या मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया, बातचीत फिर विफल रही। एसकेएम ने घोषणा की कि किसान अनाज मंडी से लघु सचिवालय तक 3.5 किमी लंबा मार्च निकाला जाएगा।

लाखों किसानों के मार्च शुरू करने के बाद, योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत सहित कई एसकेएम नेताओं को प्रशासन ने कुछ समय के लिए हिरासत में ले लिया था। एसकेएम ने कहा, “किसान दृढ़ संकल्प के साथ खड़े हैं, और सरकार हत्या के दोष से नहीं बच नहीं सकती। हम आंदोलन के पीछे मजबूती से खड़े हैं और हरियाणा सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हैं। किसान मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को सबक सिखाएंगे।“

भारत बंद की तैयारी

इस बीच 27 सितंबर को होनेवाले भारत बंद की तैयारियां जोरों पर हैं। देशभर में तैयारी बैठकें हो रही हैं। बिहार में किसान संगठन 11 सितंबर को पटना में एक सम्मेलन आयोजित करेंगे। मप्र में, सभी जिलों में तैयारी बैठकें 10 सितंबर तक पूरी कर ली जाएंगी, जिसके बाद बंद के लिए समर्थन जुटाने के लिए किसान संगठन अभियान चलाएंगे। उत्तर प्रदेश में एसकेएम के मिशन उत्तर प्रदेश कार्यक्रम के लिए 9 सितंबर को लखनऊ में बैठक होगी।

इस बीच, पंजाब के किसान संगठन शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों पर लगाए गए झूठे मुकदमों को कल तक वापस लिए जाने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा न करने पर जल्द ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।

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