14 सितंबर। देश में खेती-किसानी, पशुपालन आदि से गुजारा करने वाला हर दूसरा किसान परिवार कर्ज में डूबा है। ग्रामीण भारत में हर किसान परिवार पर औसतन 74,121 रुपए का कर्ज है। एनएसएसओ सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में पिछले 5 वर्षों में किसान परिवार पर औसत कर्ज 58 फीसदी बढ़ गया है। ये आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में निकलकर सामने आए हैं।
10 सितंबर को जारी ‘ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में बताया गया है 2018 में 50.2 प्रतिशत कृषि परिवार कर्ज में थे और प्रत्येक कृषि परिवार पर बकाया ऋण की औसत राशि 74,121 रुपये थी। पांच साल पहले 2013 में औसत कर्ज 47,000 रुपये था जो 2018 में 74,121 रुपये हो गया।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि कुल ऋण में से केवल 57.5 प्रतिशत खेती कार्यों के लिए लिया गया था। इसके अलावा, केवल 69.6 प्रतिशत बकाया ऋण संस्थागत स्रोतों जैसे बैंकों, सहकारी समितियों और सरकारी एजेंसियों से लिया गया था, जबकि 20.5 प्रतिशत ऋण साहूकारों से लिया गया था। कर्ज में डूबे इन कृषि परिवारों का प्रतिशत 2013 में 51.9 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर हाल के सर्वेक्षण में 50.2 प्रतिशत हो गया है, लेकिन चिंताजनक आंकड़ा यह है कि ऐसे प्रति परिवारों पर बकाया ऋण की औसत राशि 57.7 प्रतिशत हो गई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट 1 जनवरी, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच किए गए एनएसएसओ के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित हैं। इस अवधि के दौरान 45000 से अधिक कृषि परिवारों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया।
कार्यक्रम कार्यान्वयन और सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी की गयी इस रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी-दिसंबर 2019 के दौरान देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की भूमि और पशुधन के अलावा कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन किया। भारत में कृषि कैलेंडर (जुलाई से जून) तक होता है। सर्वेक्षण जनवरी-अगस्त 2019 और सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान किया गया था।
कृषि से ज्यादा मजदूरी से हुई आय
सर्वे के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 के दौरान प्रति कृषक परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपये थी। सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि कृषि परिवारों की कुल आय 2019 में बढ़कर 10,218 रुपये हो गयी, जो 2013 में 6,426 रुपये थी। कुल औसत आय में सबसे अधिक हिस्सा 4,063 रुपये की मजदूरी से आय का था। इसके बाद फसल उत्पादन से 3,798 रुपये, पशुपालन से 1,582 रुपये, गैर-कृषि व्यवसाय 641 रुपये तथा भूमि पट्टे से 134 रुपये की आय थी।
सर्वे में कहा गया है कि देश में किसान परिवारों की संख्या 9.3 करोड (93 मिलियन) है। जबकि गैर कृषि परिवारों की संख्या 7.93 करोड़ (79.3 मिलियन) अनुमानित है। इसमें यह भी बताया गया है कि 83.5 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) से भी कम जमीन है। महज 0.2 फीसदी के पास 10 हेक्टेयर (25 एकड़) से अधिक जमीन थी।
9.3 करोड़ कृषि परिवारों में पिछड़ा वर्ग (OBC) 45.8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) 15.9 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (SCST) 14.2 प्रतिशत और अन्य 24.1 प्रतिशत हैं। सर्वे के अनुसार जुलाई-दिसंबर 2018 में किसान पर औसतन सबसे अधिक कर्ज आंध्र प्रदेश में 2.45 लाख रुपए और सबसे कम नगालैंड में 1750 रुपए था।
(गांव कनेक्शन हिंदी से साभार)