17 सितंबर। तमाम बेरोजगार युवा आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन को जुमला दिवस के रूप में मना रहे हैं। बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस का विषय बनाने में अहम भूमिका निभा रहे संगठन युवा हल्ला बोल ने पिछले साल भी प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को जुमला दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था और उसे उत्साहजनक प्रतिक्रिया भी मिली थी। तब से बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं के आंदोलन का दायरा बढ़ता ही गया है। इस बार जुमला दिवस मनाने की तैयारी और जोर-शोर से की गयी है जिसमें युवाओं के अलावा सार्वजनिक उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं को निजी क्षेत्र को बेचे जाने से क्षुब्ध बैंककर्मी और अन्य लोग भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री के जन्मदिन को जुमला दिवस के तौर पर मनाये जाने की वजह पूछने पर युवा हल्ला बोल के कार्यकर्ताओं ने बताया कि मोदी जी हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के वादे पर सत्ता में आए थे, लेकिन हरेक भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए डालने की तरह यह वादा भी जुमला साबित हुआ। नए रोजगार का सृजन तो दूर, सरकार खाली पदों पर भर्ती तक नहीं कर रही है। बहुत से मामलों में तो प्रतियोगी परीक्षाएं संपन्न हो जाने और नतीजे घोषित कर दिए जाने के बाद भी भर्तियां नहीं हो रही हैं। ये सब सवाल उठाने पर रोजगार देने के झूठे आंकड़े जारी करके जनता को भरमाने की कोशिश की जाती है जिसमें योगी सरकार अव्वल है।
प्रधानमंत्री के जन्मदिन को जुमला दिवस के तौर पर मनाने का आह्वान अनूठा है और यह इस बात का संकेत है कि एक निरंकुश और संवेदनहीन सरकार से लड़ने के नए नए तरीके लोग निकाल लेते हैं। जुमला दिवस, राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस आदि के नाम से ट्विटर कैंपेन और प्रधानमंत्री को उनके वादे की याद दिलाते हुए जन्मदिन की बधाइयां तथा व्यंग्यात्मक टिप्पणियां इसकी मिसाल हैं। मसलन, युवा हल्ला बोल का एक ट्वीट देखिए –
ऐसा जुमला फेंकिए
मन में कुटिलता बोय
टीवी से नफ़रत बढ़े
ना बात काम की होय
हिंदू मुस्लिम अब्बा पापा
झूठा झगड़ा ढोय
नौजवान लड़ते रहें
भारत माता रोय।