संयुक्त किसान मोर्चा ने मनाई भगतसिंह जयंती, छत्तीसगढ़ में हुई किसान महापंचायत

0

28 सितंबर। मंगलवार को देश भर के किसानों ने शहीद भगत सिंह जयंती मनाई। सभी एसकेएम मोर्चों और विरोध स्थलों पर स्मृति कार्यक्रम आयोजित किए गए जहां युवा और छात्र बड़ी संख्या में एकसाथ आए, और भारत के उस महान सपूत को याद किया जिसने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। उन्होंने कहा कि भगतसिंह का बलिदान अन्याय के खिलाफ लड़ाई में किसानों को प्रेरित करता है।

राजिम में किसान महापंचायत

छत्तीसगढ़ के राजिम में मंगलवार को एक विशाल किसान महापंचायत हुई। कई एसकेएम नेताओं ने महापंचायत को संबोधित किया। महापंचायत ने छह प्रस्ताव पारित किए- किसान-विरोधी कृषि कानून और उपभोक्ता-विरोधी कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी कृषि उपज की खरीद की कानूनी गारंटी के लिए चल रहे किसान आंदोलन को आगे बढ़ाना, वर्तमान राज्य सरकार द्वारा खरीफ सीजन में 25 क्विंटल प्रति एकड़ की धान की खरीद, सिंचाई संसाधनों में वृद्धि, छत्तीसगढ़ में फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए मार्कफेड के माध्यम से धान के अलावा अन्य फसलों की खरीद के लिए राज्य सरकार द्वारा व्यवस्था तैयार की जाए, कृषि भूमि का किसी भी परिस्थिति में अन्य उद्देश्य के लिए अधिग्रहण नहीं किया जाए, तथा आदिवासियों और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए चल रहे आंदोलनों पर दमन बंद किया जाए।

27 सितंबर को हुए ऐतिहासिक भारत बंद की खबरें दूसरे दिन भी देश के विभिन्न हिस्सों से आती रहीं। भारत बंद किसान आंदोलन के लिए एक बड़ी सफलता थी और इसने भारत के हर हिस्से में अपना संदेश पहुँचाया। इसे श्रमिक संगठनों, महिला संगठनों, युवा संगठनों, बैंककर्मियों, वकीलों, ट्रांसपोर्टरों, और व्यापारिक संघों तथा देश के आम लोगों से भारी समर्थन और एकजुटता मिली। लोगों ने भारत के अन्नदाता के प्रति अत्यधिक सहानुभूति दिखाई।

देश भर में सैकड़ों किसान कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद भी बंद शांतिपूर्ण रहा। बंद का सबसे उल्लेखनीय पहलू इसका पैमाना और विस्तार था। भारत के हर राज्य से बंद की खबरें आयीं और इसका संदेश भारत के दूर-दराज के किसानों तक पहुंचा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा नेताओं द्वारा बंद और किसानों के खिलाफ दिए गए बयानों की निंदा की है। एसकेएम ने कहा है कि “भाजपा के किसान मोर्चा प्रमुख के द्वारा बंद और किसान आंदोलन के खिलाफ बयान बेहद शर्मनाक हैं। उनके बयान साबित करते हैं कि वह अपने राजनीतिक जुड़ाव को किसानों के हितों से आगे रख रहे हैं। किसानों और बंद के खिलाफ भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं, और भाजपा का अहंकार उसे किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने से रोकता है।” इस बीच केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर खोखला बयान देते हुए किसानों से आंदोलन छोड़कर बातचीत शुरू करने को कहा। यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि स्वयं केन्द्र सरकार ने ही वार्ता को रोक रखा है। एसकेएम ने हमेशा बातचीत और चर्चा, जहां किसानों की चिंताओं पर ध्यान दिया जाए, के लिए अपनी सम्मति व्यक्त की है, और यह सरकार पर निर्भर है कि वह किसानों को आमंत्रित करे और प्रक्रिया शुरू करे।


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment