दिल्ली
14 अक्टूबर। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती और डॉ राममनोहर लोहिया की पुण्यतिथि के अवसर पर आईटीओ, नयी दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में नेशनल मूवमेंट स्टूडेंट्स फ्रंट ने संगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य वक्ता थे राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज कुमार झा। एनएमएफ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ सौरभ बाजपेयी और जेएनयू के शोधार्थी जयंत जिज्ञासु ने भी वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन एनएमएसएफ सोशल मीडिया संयोजक कार्तिकेय मिश्र ने किया। आयोजन को सफल बनाने में एनएमएसएफ के राष्ट्रीय संयोजक राजेन्द्र कुमार यादव और डीयू शोधार्थी रमेश कुमार की अहम भूमिका रही।
कार्यक्रम की खास बात यह रही कि तीनों ही वक्ताओं ने विषय को बेहद रोचक बनाते हुए श्रोताओं को तथ्यात्मक जानकारी और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के संदर्भ में लोहिया जी और जयप्रकाश नारायण जी के योगदान पर बेहतरीन वक्तव्य दिये। कार्यक्रम में दिल्ली और अन्य जगहों से आए करीब 120 लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम में कोविड संबंधी नियमों का पूरा पालन किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सभी लोगों के लिए एनएमएसएफ संयोजक के साथ ही स्वयं राज्यसभा सांसद मनोज झा जी ने विश्वास दिलाया कि यह संगठन के लिए गर्व की बात है कि इतने शानदार आयोजन को बिना किसी चूक के बखूबी आयोजित किया जा सका।
इंदौर
गैर-कांग्रेसवाद को सीढ़ी बनाकर सत्ता में पहुंची भारतीय जनता पार्टी द्वारा चलाये जा रहे निरंकुश शासन से देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में है। डॉ लोहिया ने गैर-कांग्रेसवाद को एक तात्कालिक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया था, उसी तर्ज पर आज देश को बचाने के लिए गैर-भाजपावाद की रणनीति पर काम करना जरूरी है। उपरोक्त विचार डॉ राममनोहर लोहिया की 54वीं पुण्यतिथि पर आयोजित विचार संगोष्ठी में विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किये। डॉ राममनोहर लोहिया सामाजिक समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद तथा वरिष्ठ समाजवादी नेता कल्याण जैन ने कहा कि आज लड़ाई देश बचाने की है। और ऐसे वक्त में जब संविधान सहित सारे मौलिक अधिकारों पर हमला हो रहा है तब संपूर्ण विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह गैर-भाजपावाद के तहत एकजुट हो और नरेंद्र मोदी सरकार को अपदस्थ करे।
श्री जैन ने कहा कि आज विपक्ष में भी कई नेता छद्म रूप से मोदी का विरोध कर रहे हैं और अंदरूनी रूप से समर्थन। यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है और ऐसे नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है। इसी के साथ आप ने कहा कि मोदी को हटाने के लिए कोई भी ऐसी विपक्षी एकता जिसमें कांग्रेस ना हो वह सफल नहीं हो पाएगी।
समाजवादी-गांधीवादी चिंतक अनिल त्रिवेदी ने कहा कि डॉ राममनोहर लोहिया ने हर समस्या पर विचार किया और नये-नये लोगों को नये विचार के साथ संघर्ष का रास्ता दिखाया। डॉ लोहिया का मानना था कि नौजवानों के चेहरे पर हँसी और दिमाग में देश बनाने का सपना होना चाहिए, मगर आज के नौजवानों में दोनों ही नहीं है। दो-चार प्रतिशत लोग जो अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं उनको छोड़ दिया जाए तो अधिकांश लोग देश के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। संगोष्ठी में वरिष्ठ समाजवादी नेता रामबाबू अग्रवाल, पत्रकार सुभाष रानाडे, के.आर. यादव, शशिकांत गुप्ते, दिनेश पुराणिक सहित कई वक्ताओं ने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी का संचालन सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने किया।
संगोष्ठी में प्रमोद बागड़ी छेदीलाल यादव, अरविंद पोरवाल,रुद्रपाल यादव, प्रमोद नामदेव, धीरज दुबे, अंचल सक्सेना, रामकिशन मौर्य सहित बड़ी संख्या में राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।
– रामस्वरूप मंत्री
सचिव, डॉ राममनोहर लोहिया सामाजिक समिति, इंदौर
सीतामढ़ी
लोहिया समाज, सीतामढ़ी के तत्त्वावधान में खादी भण्डार परिसर, सीतामढ़ी में महान समाजवादी नेता तथा चिंतक डॉ.राममनोहर लोहिया की 54वीं पुण्यतिथि पर ‘समाजवाद की चुनौतियां’ विषय पर एक संगोष्ठी लोहिया समाज के उपाध्यक्ष चन्द्रदेव मंडल की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। लोहिया जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद संगोष्ठी का शुभारम्भ समाजवादी नेता तथा कवि स्व.मोहनलाल शर्मा जी द्वारा दशकों पूर्व रचित कविता ‘गूंज रहा गिरिराज शिखर पर डॉ.लोहिया जिन्दाबाद’ के पाठ से हुआ। कविता पाठ उनके पुत्र किसान मोर्चा के नेता शशिधर शर्मा ने किया। कवि बच्चा प्र.विह्वल ने ‘जन-जन की आवाज बना वह—–’ लोहिया जी पर अपनी रचना प्रस्तुत की।
विषय प्रवेश कराते हुए पूर्व प्रचार्य प्रो. आनन्द किशोर ने कहा कि वैश्वीकरण तथा उदारीकरण के दौर में आमलोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं। कॉरपोरेट देश का ड्राइवर बन बैठा है। फासीवाद मजबूत हो रहा है। संविधान तथा लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश हो रही है। साम्प्रदायिकता को राजनीति का औजार बनाया जा रहा है। समाजवाद तथा समाजवादियों के समक्ष यह सबसे बडी़ चुनौती है।
मुख्य वक्ता साहित्यकार विमल कुमार परिमल ने कहा लोहिया के चिंतन, साहस, कल्पनाशीलता और रणकौशल को आज के संदर्भ में कैसे लागू किया जाए इसपर लोहिया समाज को रणनीति बनाने की जरूरत है। नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि लोहिया होते तो आज गैर-कांग्रेसवाद की जगह गैर-भाजपावाद का ऐलान करते। गांधीवादी चिंतक रामप्रमोद मिश्रा ने कहा कि लोहिया के समर्थक कहे जानेवाले दल सता से सांठगांठ कर आमजन को भूलते जा रहे हैं, उन्हें 87 वर्षों के समाजवादी इतिहास की समीक्षा कर लोहिया के रास्ते सहयोगी संगठनों के साथ रणनीति बनाने की जरूरत है। मोर्चा नेता आलोक कुमार ने कहा कि लोहिया के समाजवादी विचार तथा सप्तक्रांति के सातों सूत्र आज ज्यादा प्रासंगिक बन गए हैं। ट्रेड यूनियन लीडर दिनेश चन्द्र द्विवेदी ने मार्क्स, लोहिया, गांधी के विचारों का तुलनात्मक विवेचन किया तथा आज की परिस्थितियों में एकजुटता की जरूरत बतायी। संगोष्ठी मे प्रो.विष्णु दयाल साह, किसान सभा के सचिव जयप्रकाश राय, भिखारी शर्मा, विजय कुमार पाण्डेय, सुरेश बैठा, शिवकुमार, शशिधर शर्मा, लालबाबू मिश्र, विजय कुमार सिंह, सुरेश प्रसाद, चन्देश्वर प्रसाद, अमन कुमार टुन्ना, अबरार ने भी विचार व्यक्त किये।