17 अक्टूबर। 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार के तुरंत बाद, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रमों की घोषणा की थी। एसकेएम शुरू से ही अजय मिश्रा टेनी को मोदी सरकार में मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने की मांग कर रहा है।
यह स्पष्ट है कि अजय मिश्रा के केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री रहते हुए इस मामले में न्याय सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है। ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं है कि उनका बेटा, आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। सच तो यह है कि अजय मिश्रा टेनी खुद किसी आम उपद्रवी की तरह किसानों को जनसभा से धमकियां देने से भी नहीं हिचकिचाये। किसी हिस्ट्रीशीटर की तरह, उन्होंने डराने-धमकाने के लिए अपने आपराधिक इतिहास का भी हवाला दिया था। उन्होंने अपने भाषणों में हिंदुओं और सिखों के बीच नफरत, दुश्मनी और सांप्रदायिक द्वेष को बढ़ावा देने की कोशिश की। उनके वाहनों का उपयोग शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए किया गया। जब पुलिस समन जारी कर रही थी तब भी उन्होंने अपने बेटे और साथियों को संरक्षण दिया।
रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि चश्मदीदों पर गवाही न देने और अपने बयान दर्ज नहीं कराने का दबाव है। उनके बेटे, मुख्य आरोपी, वीआईपी सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं, जोकि इस देश में किसी अन्य हत्या-आरोपी को नहीं दी जाती हैं। भाजपा में उनकी पार्टी के कई सहयोगी भी दावा कर रहे हैं कि वह पूरे नरसंहार के सूत्रधार थे। निष्पक्ष जांच का तकाजा यह है कि अजय मिश्रा टेनी को अब तक गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था। उन्हें मंत्री बनाये रखकर प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रिपरिषद को शर्मसार कर रहे हैं, और बेहद अनैतिक रवैये का प्रदर्शन कर रहे हैं। देश में ऐसी सरकार होने से नागरिकों का सिर शर्म से झुक जाता है। एसकेएम ने एक बार फिर मांग की है कि अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
इन मांगों पर जोर देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने आज देशव्यापी रेल रोको का आह्वान किया है। रेल रोको 18अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच छह घंटे तक चलेगा। एसकेएम ने इस कार्यक्रम को, रेल संपत्ति को किसी भी प्रकार की क्षति पहुँचाये बिना, शांतिपूर्ण ढंग से कार्यान्वित करने का आह्वान किया है।
गिरफ्तारी, नजरबंदी
दशहरे पर और उसके दूसरे दिन, देशभर में सैकड़ों स्थानों पर भाजपा नेताओं के पुतले जलाये गये और अजय मिश्रा की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी तथा लखीमपुर खीरी हत्याकांड मामले में न्याय की मांग की गयी। उत्तर प्रदेश में दर्जनों जगहों पर पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया और घर में नजरबंद कर दिया। एसकेएम ने इसकी निंदा करते हुए उप्र सरकार से नागरिकों के विरोध के अधिकार को कुचलने के खिलाफ चेतावनी दी है।
लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड के शहीदों की अस्थियों के साथ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों में विभिन्न मार्गों पर शहीद कलश यात्राएं निकाली जा रही हैं।
सीकर में विरोध, राज्यपाल का कार्यक्रम रद्द
राजस्थान के सीकर में, स्थानीय किसानों द्वारा काले झंडे लेकर विरोध का अल्टीमेटम देने के कारण राज्यपाल का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया, जिसे स्थानीय भाजपा सांसद द्वारा आयोजित किया जा रहा था। किसानों ने एकजुट होकर चेतावनी जारी की कि यदि राज्यपाल सांसद के वैदिक आश्रम में ‘यज्ञ’ में भाग लेते हैं, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि आश्रम का निर्माण भाजपा नेता द्वारा गाँव की आम चारागाह भूमि पर अतिक्रमण कर किया गया है। इसके बाद राज्यपाल कलराज मिश्र ने कार्यक्रम रद्द कर दिया।
भाजपा के जातिवादी कार्यक्रम
एसकेएम ने विभिन्न राज्यों में भाजपा नेताओं और उसके सहयोगी दलों के नेताओं द्वारा पार्टी कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए शैक्षिक संस्थानों के उपयोग की निंदा की है। एसकेएम ने कहा है कि यह और भी दुखद है कि कार्यक्रम जातिवादी आधार पर आयोजित किये जा रहे हैं। एसकेएम ने भाजपा नेताओं के सामाजिक बहिष्कार को विभिन्न राज्यों में गति देने की भी अपील की है।
पक्के मोर्चे
विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के हिस्से के रूप में, देश भर में विभिन्न स्थानों पर टोल प्लाजों पर, कॉरपोरेट मॉल और पेट्रोल स्टेशनों पर, और भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर, पक्के मोर्चा बनाये गये हैं। ऐसा मोर्चा राजस्थान के सवाई माधोपुर में 17 जनवरी 2021 से जारी है। मोहाली में एक रिले भूख हड़ताल अपने 133वें दिन में प्रवेश कर गयी है, जिसमें बढ़ चढ़कर स्थानीय निवासी भाग ले रहे हैं। इसी तरह के मोर्चे महाराष्ट्र के वर्धा और मध्यप्रदेश के रीवा, सिवनी और सतना में भी चल रहे हैं। किसान आंदोलन की माँगों को लेकर कई समर्थकों ने पदयात्राएं और साइकिल यात्राएं निकालीं और हजारों किलोमीटर की कठिन यात्राएं कीं,जो यात्रियों के दृढ़ संकल्प को दर्शाती हैं।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में होनेवाली किसान महापंचायत भारी बारिश और मैदान में पानी भर जाने के कारण नहीं हो सकी। यहाँ किसान महापंचायत के लिए जल्द ही नयी तारीख की घोषणा की जाएगी।