18 अक्टूबर। संयुक्त किसान मोर्चा के रेल रोको आह्वान पर देशभर में सैकड़ों स्थानों पर, प्रदर्शनकारी किसानों ने सोमवार को सुबह 10 बजे से अपराह्न 4 बजे तक, छह घंटे के लिए रेलवे ट्रैक और प्लेटफार्मों पर मोर्चा लगा दिया। कई जगहों पर भारी बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में पुरुष और महिलाएं रेल रोको आंदोलन में शामिल हुए। 290 से अधिक ट्रेनें कथित तौर पर प्रभावित हुईं और 40 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गयीं। उत्तरप्रदेश में पुलिस ने किसान नेताओं को कई जगहों पर हिरासत में ले लिया। मध्यप्रदेश में पुलिस ने कई जगहों जैसे गुना, ग्वालियर, रीवा, बामनिया (झाबुआ) और अन्य जगहों पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। तेलंगाना के काचीगुड़ा (हैदराबाद) में भी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया। कई राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना आदि से रेल रोको आह्वान के सफल होने की खबरें प्राप्त हुई हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में अजय मिश्रा टेनी को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने की अपनी माँग पुरजोर तौर पर फिर दोहराई है। मोर्चा ने कहा है कि मोदी सरकार को नैतिक जिम्मेदारी लेने के साथ-साथ नैसर्गिक न्याय के सीधे-सरल व मान्य सिद्धांत के नाते भी यह कदम उठाना चाहिए ताकि जाँच प्रभावित न हो, लखीमपुर खीरी हत्याकांड के असली दोषियों और मास्टरमाइंडों को गिरफ्तार किया जा सके। एसकेएम ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर लखीमपुर खीरी नरसंहार में न्याय की माँग पूरी नहीं की गयी तो विरोध और तेज किया जाएगा।
देश के कई राज्यों में लखीमपुर खीरी नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए यात्राएँ निकाली जा रही हैं। मध्यप्रदेश में शहीद किसान श्रद्धांजलि पदयात्रा की योजना बनायी गयी है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में शहीद कलश यात्रा शुरू हो गयी है।
लोकनीति सत्याग्रह पदयात्रा
गांधी जयंती पर चंपारण से शुरू हुई लोकनीति सत्याग्रह किसान जन जागरण पदयात्रा अपने गंतव्य वाराणसी के करीब है। पदयात्रा सोमवार तक 17 दिन की पैदल यात्रा पूरी कर चुकी है। सोमवार को यह पदयात्रा सुबह गाजीपुर जिले के नैसरा से रवाना हुई और दोपहर में बासुपुर पहुँची। पदयात्रियों ने सोमवार की रात में गाजीपुर जिले के सिधौना में विश्राम किया। पदयात्रा के अंतिम चरण में पैदल मार्च मंगलवार को बनारस जिले में प्रवेश करेगा। पदयात्री रोज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से एक सवाल पूछते हैं। सोमवार का प्रश्न था- “प्राकृतिक संसाधनों की अंधाधुंध लूट की छूट कब तक?”
भारी बारिश से फसल-हानि
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में रविवार को भारी बारिश से धान, गन्ना, चना जैसी तैयार फसलें बरबाद हो गयीं। किसान अत्यधिक नुकसान से आक्रोशित हैं, और पूरे सीजन के उनके निवेश और प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। किसानों के लिए मौजूदा जोखिम कवरेज के अपर्याप्त तंत्र को देखते हुए, चाहे वह ‘इनपुट सबसिडी’ के रूप में आपदा मुआवजा हो, या फसल बीमा हो, किसानों को नुकसान का खमियाजा भुगतना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी प्रभावित किसानों के लिए सरकार द्वारा पर्याप्त मुआवजे का भुगतान करने की माँग उठायी है। उत्तर प्रदेश में जो किसान अपने कटे हुए धान को बाजार तक पहुँचाने में कामयाब रहे हैं, उन्हें व्यापारियों द्वारा लूटा जा रहा है। खरीद शुरू नहीं हुई है और किसानों को घोषित एमएसपी की तुलना में काफी कम कीमत मिल रही है। एसकेएम की माँग है कि किसानों की इस लूट को तुरंत रोका जाए और खरीद तत्काल शुरू की जाए।
इस बीच, पंजाब में कपास उत्पादक किसान सरकार के साथ बातचीत विफल होने के बाद पंजाब के वित्तमंत्री के आवास के बाहर धरना दे रहे हैं। एसकेएम की मांग है कि सभी प्रभावित किसानों को तत्काल पर्याप्त मुआवजा (60,000 रुपये प्रति एकड़) दिया जाए।
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