6 नवंबर। यह मौजूदा केंद्र सरकार की घोर संवेदनहीनता का ही परिणाम है कि बहुत से किसानों ने घर-परिवार से दूर, दिल्ली के बार्डरों पर दीवाली मनाई। दिल्ली के बार्डरों पर किसानों के आंदोलन को ग्यारह महीने से अधिक हो गये हैं और इस महीने की 26 तारीख को एक साल पूरा हो जाएगा। लेकिन केंद्र सरकार सत्ता के मद में चूर है। देशभर के किसान संगठनों के लगातार एकजुट विरोध और देशभर के किसानों के व्यापक समर्थन के बावजूद मोदी सरकार यही रट लगाए हुए है कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। सत्ता का मद कहां तक चढ़ चुका है, यह लखीमपुर खीरी के जनसंहार ने बता दिया है। यही नहीं, इस जनसंहार के बाद एक तरफ जांच के नाम पर लीपापोती हो रही है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सारी लोक-लाज को धता बताकर अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद में बनाए हुए हैं।
सरकार आंदोलनकारियों को थकाने, बदनाम करने और दमन की नीति पर चल रही है, लेकिन आंदोलन असाधारण जीवट का परिचय देते हुए तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की कानूनन गारंटी की अपनी मांग पर डटा हुआ है। आंदोलनकारी लगभग सभी प्रमुख दिवस और त्योहार प्रतिरोध स्थलों पर मना चुके हैं और दीवाली भी बार्डरों पर मनाई गयी। इस मौके पर आंदोलन में शहीद हुए सभी साथियों को याद किया गया। पेश है किसान आंदोलन की दीवाली की कुछ झलकियां –
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.





















