11 नवंबर। पिछले करीब चार साल से श्रमिक जनता संघ के नेतृत्व में रोजगार के अधिकार के लिए संघर्षरत सेंचुरी मिल के श्रमिक प्रतिनिधियों ने और हाल ही में मैनेजमेंट की मनमानी के खिलाफ संघर्ष शुरू करनेवाले मराल इंडस्ट्रीज के करीब 100 श्रमिक प्रतिनिधियों ने इंदौर आकर मध्यप्रदेश के श्रम आयुक्त कार्यालय पर धरना दिया और प्रदर्शन किया। करीब 4 घंटे चले धरना-प्रदर्शन में विभिन्न वक्ताओं ने संबोधित करते हुए सेंचुरी और मराल के मैनेजमेंट की मनमानी से हो रही परेशानी और पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहा कि श्रम आयुक्त का कर्तव्य है कि वह मजदूरों और मालिकों के बीच के विवाद को त्रिपक्षीय बैठक के जरिए हल करें। कई बार इंदौर के श्रम आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन और ज्ञापन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। मौखिक रूप से तो श्रमायुक्त वादा करते हैं, लेकिन आज तक ऐसी बैठक नहीं बुलाई गई है। इससे श्रमिकों में आक्रोश है।
मेधा पाटकर के नेतृत्व में हुए धरने में दोनों ही कंपनियों के श्रमिक प्रतिनिधि आए थे और उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की। सभा को मेधा पाटकर, रामस्वरूप मंत्री, प्रमोद नामदेव, दुर्गेश कैसे, नवीन मिश्रा, सुश्री ज्योति भदाने ने संबोधित किया। बाद में धरनास्थल पर श्रमिकों के बीच आकर उपायुक्त ने श्रमिकों की बात सुनी और सेंचुरी तथा मराल के मुद्दों पर दोनो पक्षकारों को बुलाकर बैठक लेने का आश्वासन दिया। श्रमिक सेंचुरी के कैम्पस में जो रहते हैं उनका पानी और बिजली काटने की शिकायत पर उन्होंने अगले दिन सुबह मनजीत कम्पनी से बात करके बुनियादी सुविधाओं के बारे में आश्वासन दिया।
श्रमिक जनता संघ की तरफ से मेधा पाटकर के साथ उषा माहिले, ज्योति भदाने, दुर्गेश खवसे, नवीन मिश्रा आदि ने सवाल किया कि हमारी सुनवाई हो चुकी है तो फिर से सुनवाई करके समय क्यों बढ़ाया जा रहा है। श्रमिकों ने इसपर कड़ी आपत्ति उठाई कि राज्य सरकार सेंचुरी के अंदर रहनेवाले श्रमिकों के बुनियादी अधिकार के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। आखिर में उपायुक्त ने इसी महीने में दूसरे दिन से ही 15 दिन के अंदर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का दावा किया है।
श्रमिकों ने अंतिम रूप से समाधान होने तक संघर्ष जारी रखने के एलान के साथ धरना-प्रदर्शन समाप्त किया।