तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर कैबिनेट की मुहर, पर कई चिंताजनक बिलों को भी हरी झंडी

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24 नवंबर। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मोदी सरकार द्वारा पिछले साल लाये गये तीन किसान-विरोधी कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने और अधिनियमित करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी गयी। 19 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कानूनों को निरस्त करने के सरकार के निर्णय की घोषणा की थी, कल बुधवार को कैबिनेट द्वारा विधेयक को हरी झंडी देने की औपचारिक प्रक्रिया को अपनाया गया। किसानों की जीत दर्शानेवाली इस प्रक्रिया के साथ यह चिंताजनक खबर भी है कि शीतकालीन सत्र में विधायी कार्य के लिए सूचीबद्ध 26 विधेयकों से संबंधित संसद की बुलेटिन में विद्युत संशोधन विधेयक 2021 भी शामिल है। इसमें भारतीय समुद्री मात्स्यिकी विधेयक 2021 भी शामिल है – भारत की किसानों के लिए राष्ट्रीय नीति 2007 के अनुसार मछुआरे भी किसान हैं। इस विधेयक के बारे में मछुआरा संघ अपनी आशंकाओं और चिंताओं को व्यक्त करते रहे हैं और संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले एक प्रेस विज्ञप्ति में इस मुद्दे को उजागर किया है (दिनांक 28 जुलाई 2021)। एसकेएम ने पहले भारत के प्रधानमंत्री को सरकार द्वारा लंबित मांगों को पूरा किए जाने तक आंदोलन जारी रखने के अपने इरादे के बारे में जानकारी दे दी है।

गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को किसानों की भावनाओं और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं द्वारा जारी अल्टीमेटम को ध्यान में रखते हुए लखीमपुर खीरी में स्थानीय चीनी मिलों द्वारा आयोजित उदघाटन कार्यक्रमों से बाहर रखा गया । विडंबना यह है कि प्रधानमंत्री इस मामले में नैतिकता से कार्य नहीं कर रहे हैं। अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड का सूत्रधार होने के बावजूद केंद्र सरकार की मंत्रिपरिषद में बने हुए हैं। खबर है कि पुनर्गठित एसआईटी ने कल लखीमपुर खीरी का दौरा किया। एसकेएम ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आईपीएस अधिकारी पद्मजा चौहान को एसआईटी में शामिल करने के बारे में पहले ही अपनी आपत्ति और चिंता व्यक्त की है, और उम्मीद है कि इस मसले को जल्द ही हल किया जाएगा। इस बीच, मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से शहीद किसान अस्थि कलश यात्रा चल रही है, और स्थानीय किसान बड़ी संख्या में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हो रहे हैं।

आज सर छोटूराम की जयंती मोर्चा स्थलों और अन्य जगहों पर किसान मजदूर संघर्ष दिवस के रूप में उत्साह और सम्मान के साथ मनायी गयी। वे 20वीं सदी की शुरुआत में किसान चेतना को बढ़ाने और उन्हें धार्मिक और जातिगत सीमाओं के पार एकजुट करने के अपने काम के लिए जाने जाते हैं। प्रांतीय चुनावों में जीत हासिल करने और राजस्व मंत्री बनने के बाद, सर छोटूराम ने सूदखोरी को रोकने, जोतनेवालों को भूमि प्रदान करने और किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए वैधानिक परिवर्तन किये थे। संयुक्त किसान मोर्चा सर छोटूराम और उनकी प्रेरणादायी विरासत को हार्दिक सम्मान के साथ याद करता है।

एमएसपी पर सर्वे

एक मीडिया हाउस द्वारा किये गये एक बाजार सर्वेक्षण से पता चला है कि एनडीए के अधिकांश समर्थक भी चाहते हैं कि एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए। दूसरी ओर, एनएसओ के कृषि घरानों के स्थिति आकलन सर्वेक्षण के हाल के 77वें दौर के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि किसानों के विशाल बहुमत को एमएसपी नहीं मिला है। यह अध्ययन किसान आंदोलन द्वारा कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी की मांग की पुष्टि करता है।

कर्नाटक व तमिलनाडु में 26 की व्यापक तैयारी

कर्नाटक में 26 नवंबर को किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए, किसानों ने विशेष रूप से उस दिन बड़ी संख्या में महत्त्वपूर्ण राजमार्गों पर आने का फैसला किया है। राज्य के सभी जिलों में लगभग 25 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन की योजना है। इस प्रदर्शन में दो स्थानों पर बेंगलुरु के नागरिक भी चिकबल्लापुर जिले के श्रीरंगपटना और चडालपुरा में वाहन रैलियों में शामिल होंगे।

तमिलनाडु में ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त रूप से सभी जिला मुख्यालयों पर रैलियां की जाएंगी। चेन्नई में भी विरोध प्रदर्शन और सभा होगी। रायपुर और रांची जैसे कई राज्यों की राजधानियों में ट्रैक्टर रैलियों की योजना बनायी जा रही है। रायपुर रैली 25 नवंबर की सुबह गरियाबंद से रवाना होगी। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 25 और 26 दोनों तारीखों को विरोध कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। तेलंगाना के हैदराबाद में 25 नवंबर को इंदिरा पार्क के पास धरना चौक पर महाधरना का आयोजन किया गया है। पटना में किसान संगठन और ट्रेड यूनियन कलेक्ट्रेट तक संयुक्त मार्च निकालेंगे और ज्ञापन सौंपेंगे। इस बीच, हजारों किसान ट्रैक्टर और राशन और अन्य आपूर्ति के साथ दिल्ली के आसपास के मोर्चा स्थलों पर पहुंच रहे हैं।

खाद की किल्लत

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों द्वारा अनुभव की जा रही उर्वरकों की कमी, कालाबाजारी और अतिरिक्त कीमतों के पीछे केंद्र सरकार की विफलता है। एसकेएम ने कृषि और उर्वरक मंत्रियों के इन बयानों की निंदा की है कि उर्वरक की कोई कमी नहीं है।

फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स

अब खबर आ रही है कि सिखों के नाम पर कम से कम 80 फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट संचालित किये जा रहे हैं। इन फर्जी अकाउंट्स को विभाजनकारी आख्यानों को बढ़ावा देते और सिखों को निशाना बनाते पाया गया है। इन अकाउंट्स को अब ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया चैनलों पर निलंबित कर दिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस तरह से प्रचारित किये जा रहे विभाजनकारी एजेंडे के बारे में चिंता जाहिर की है, और नागरिकों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की इस आभासी रणनीति के बारे में कफी सतर्क रहने के लिए कहा है। भाजपा और उसके समर्थकों ने शांतिपूर्ण आंदोलन पर हमला करने के लिए तरह तरह के हथकंडे इस्तेमाल करने में संकोच नहीं किया। यही नहीं, सरकार ने तो आगे बढ़कर विरोध कर रहे किसानों के समर्थकों के अकाउंट्स को रोका और निलंबित किया है।

सुखदेव सिंह चक्कीवाला को श्रद्धांजलि

एसकेएम ने शहीद सुखदेव सिंह चक्कीवाला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि उन्होंने भवदीन टोल प्लाजा पर विरोध कर रहे किसानों को खाना बनाकर और खिलाकर लगातार किसान आंदोलन में अपनी सेवा प्रदान करते हुए आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी।

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