1 दिसंबर। कोविड के नाम पर संसद में प्रवेश को रोकने के विरोध में देश के पत्रकार 2 दिसंबर को दोपहर एक बजे रैली निकलेंगे।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने बताया कि सरकार ने संसद की वास्तविक खबरों को बाहर न आने देने के लिए पत्रकारों के संसद की कार्यवाही कवर करने पर रोक लगा रखी है और केवल चुनिन्दा संगठनों के पत्रकारों को पास दे रही है।
उन्होंने बताया कि जब रेस्तरां, होटल, मॉल सब खुल गये तो पत्रकारों के लिए पहले की तरह पास क्यों नहीं बन रहे? लाटरी निकाल कर चुनिंदा मीडिया संस्थानों के पत्रकारों को प्रवेश दिया जा रहा। इसके विरोध में हमलोग कल एक बजे प्रेस क्लब से संसद तक मार्च करेंगे।
‘द टेलीग्राफ’ ने इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी दलों ने भी सरकार को इस बात की ओर ध्यान दिलाया है तथा लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस बारे में सरकार को पत्र लिखा है पर पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगी है। उनके पास नहीं बन रहे। दो साल से यही हालत बनी हुई है।
पत्रकारों ने एक खुला पत्र भी सरकार को लिखा है। इतना ही नहीं, पत्रकारों को सेशनल पास तथा सेंट्रल हॉल के पास नहीं बन रहे और पत्रकारों की सलाहकर समिति की बैठक नहीं हो रही है और उनमें इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया जा रहा। सारे फैसले मनमानी लिये जा रहे और नौकरशाह निर्णय कर रहे। सलाहकर समितियों के पत्रकारों की सलाह नहीं मानी जा रही है।
लखेड़ा ने बताया कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस बारे में कई ट्वीट किये हैं।सरकार अघोषित सेंसरशिप लगाकर कोरोना के नाम पर खबरों को रोक रही है क्योंकि वह बिना चर्चा के बिल पास कर रही है जो गैरलोकतांत्रिक है।
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