(‘गोवा के लोगों को खुला पत्र : कार्रवाई के लिए आवाहन’ से उद्धृत)
हम किसलिए लड़ रहे हैं? …मूल रूप से हमारा उद्देश्य एक नया गोवा बनाना है, जहाँ हर गोवावासी एक योग्य और खुशहाल नागरिक हो, जो पूर्ण लोकतंत्र की गरिमा को प्राप्त करने एवं स्वतंत्र और एकजुट हिंदुस्तान के लिए जीने और मरने को तियार है…
पूर्ण लोकतंत्र क्या है? गोवा के लिए इसका मतलब है कि पाँच लाख लोग वास्तव में पाँच लाख होने चाहिए। आप में से प्रत्येक को सक्रिय होना चाहिए और समझदारीपूर्वक स्वशासन के लिए तैयार होना चाहिए। सारा हिन्दुस्तान ऐसे लोकतंत्र के लिए प्रयास कर रहा है…
लोकतंत्र के लिए शिक्षा या धन संपदा का होना ही कोई योग्यता नहीं है। किसी व्यक्ति की लोकतंत्र के लिए जीने और मरने की इच्छा ही सच्ची योग्यता होती है। कभी-कभी गरीब और अनपढ़ लोग लोकतंत्र के लिए बेहतर होते हैं क्योंकि वे अपने दैनिक जीवन में इसकी आवश्यकता देखते हैं और इसे प्राप्त करने के लिए तैयार रहते हैं या प्रयास करते हुए मर जाते हैं।
लोकतंत्र का अर्थ है विदेशी शासन का अंत। इसका अर्थ है पंचायती राज का निर्माण। लेकिन इसका मतलब इससे कहीं जादा है – ऐसी लोकतांत्रिक मन:स्थिति का निर्माण, जिसमें हर व्यक्ति राजा होता है। विशाल राष्ट्रीय शक्ति की इस दुनिया में, कोई भी ब्राह्मण या अमीर आदमी तब तक राजा नहीं हो सकता, जब तक कि किसान या मछुआरा एक ही समय में उसके समान ही राजा न हो। राजा बनने के लिए हर एक को परिश्रम करना पड़ता है। यह ऊपर से उपहार के रूप में आपके पास नहीं आता है…
गोवा में हम जिस पूर्ण लोकतंत्र का निर्माण का प्रयास कर रहे हैं, उसके तहत हमें योग्यता और सीखने की क्षमता के बीच भ्रमित नहीं होना चाहिए। प्रत्येक गोवावासी, युवा हो या बूढ़ा, विद्वान् हो या अनपढ़, लोकतंत्र के लिए उतनी ही क्षमता रखता है, जितनी उसके पास कार्रवाई करने और कष्ट सहने की क्षमता हो…
मैंने आपके राजनीतिक कार्यकर्ताओं के सामने सत्याग्रह और ग्राम पंचायत के दो कार्यक्रम रखे हैं।
सत्याग्रह कार्यक्रम –
जन प्रतिरोध (एक सप्ताह में दो सौ प्रतिरोध); किसान मोर्चा (कर और लगानबंदी के लिए गाँवों में मोर्चे; गाँवों के समूहों का शहर की ओर मार्च); चावल और अन्य खाद्य पदार्थों पर सीमा शुल्क हटाने के लिए कस्बों में प्रदर्शन; शराब की दूकानों पर महिला प्रदर्शन; विद्यार्थियों की टोलियों का स्कॉट-परेड बहिष्कार और गाँवों में जन संपर्क यात्रा; स्टाम्प-राजस्व और लाटरी के खिलाफ अभियान; प्रचार इकाइयों का गाँवों में ग्रामीण समस्याओं और संघर्ष के बारे में भाषण, नारे, गीत, एकांकी नाटक आदि सांस्कृतिक गतिविधियाँ (सं.- यह मूल पाठ का सारांश है)।
ग्राम पंचायत –
पंचायत का गठन निम्नलिखित संकल्प की घोषणा के आधार पर होगा :
“हम ग्रामवासी स्वतंत्र रूप से निश्चित कर चुके हैं कि ग्रामराज के सिद्धांत से प्रेरित होकर अपनी पंचायत बनायेंगे। हम अपने विवादों को आपस में सुलझाएंगे और कोर्ट नहीं जायेंगे। हम स्टाम्प पेपर का उपयोग नहीं करने का भी निर्णय लेते हैं। जब भी हमें राष्ट्रीय कांग्रेस, गोवा द्वारा सलाह दी जाएगी तो हम फसल कटाई के मौसम में किराया और कर का भुगतान करने से भी मना करेंगे। इस बीच हम सत्याग्रह अभियान को अपना समर्थन देने का संकल्प लेते हैं और इसमें भाग लेने का निर्णय करते हैं। इन उद्देश्यों के लिए,हम अपनी कार्यकारिणी का चुनाव करने का निर्णय लेते हैं। हम सभी सक्षम पुरुषों का एक स्वयंसेवी दस्ता बनाने का भी निर्णय लेते हैं और महिलाओं को इसकी महिला शाखओं में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। हम शराब की बुराई के खिलाफ भी काम करेंगे।”
कार्यकारिणी के चुनाव में जनसंख्या की सभी जातियों और वर्गों को शामिल करने की सावधानी बरतनी चाहिए। गाँव के सेवादल में से पाँच-पाँच के जत्थों में सत्याग्रही भरती की जानी चाहिए और उन्हें महाल (नगर) के सत्याग्रह अभियान में भेजा जाना चाहिए।
सभी जोखिमों से गुजरने और सभी आदेशों की तामील करने के इच्छुक पाँच दृढ़-संकल्पित व्यक्तियों की टोलियाँ बनायी जानी चाहिए। ऐसी टोलियों के नेता का संकट के समय गाँव का नेतृत्त्व करने की क्षमता के आधार पर चयन करना चाहिए।
खाद्य पदार्थों की बगैर मुनाफे के बिक्री के लिए पेरनेम, सतारी, क्यूपेम, संगम और कैनकोना के प्रत्येक सीमावर्ती महाल में तुरंत दो गाँवों का चयन करते हुए पंचायतों में व्यवस्था की जानी चाहिए। वितरण निश्चित और समान राशन के आधार पर किया जाना चाहिए।
इन कार्यक्रमों के साथ आपके राजनीतिक कार्यकर्ता विभिन्न वर्गों और यूनियनों, रेलकर्मियों, मोटर चालकों, किसानों, विद्यार्थियों, मछुआरों और अन्य समूहों को संगठित करने में आपकी सहायता करेंगे। चूँकि ये संघ बहुत खुले तौर पर काम नहीं कर सकते इसलिए आपको व्यापक एकता बनानी होगी। एक दूसरे के प्रति सहिष्णुता बरतते हुए आप सभी को तेजी से काम करना चाहिए। यदि आप अगले दो-तीन महीनों में इन विभिन्न कार्यक्रमों को अंजाम देते हैं, तो एक ऐसी परिस्थिति पैदा हो जायेगी कि आम हड़ताल के हथियार के द्वारा आप पुर्तगाली सरकार को अपनी स्वतंत्रता स्वीकार करने या गोवा छोड़ने का लिए बाध्य कर सकते हैं…
(स्रोत : गोवा में क्रान्ति – डॉ. राममनोहर लोहिया (मूल 1946; 2021) (ग्वालियर, आईटीएम पब्लिकेशंस, आईटीएम यूनिवर्सिटी) 19-36
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