सोची-समझी साजिश था लखीमपुर हत्याकांड – एसआईटी

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14 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई हिंसा को एसआईटी (विशेष जांच दल) ने सोची-समझी साजिश बताया है। एसआईटी के जांच अधिकारी ने आरोपियों के खिलाफ धाराएं बढ़ाने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू समेत 14 आरोपियों को कोर्ट में तलब किया है।

एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में यूपी से बाहर के अधिकारियों के साथ एसआईटी को ‘अपग्रेड’ किये जाने के बाद तिकोनिया मामले में नया मोड़ सामने आया है। एसआईटी ने हत्याकांड को सोची-समझी साजिश बताया है। अभी तक इस मामले को एक्सीडेंटल केस के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन अब अधिकारियों ने कहा है कि इस भीषण मामले के 13 आरोपियों पर चार अतिरिक्त आपराधिक आरोप लगाए जाएं। इनमें हत्या का प्रयास, खतरनाक हथियारों का उपयोग करके स्वैच्छिक चोट पहुंचाना, सामान्य इरादे से कई लोगों द्वारा आपराधिक कृत्य और शस्त्र अधिनियम की प्रासंगिक धारा शामिल हैं। एसआईटी ने कहा कि इन आरोपों को आईपीसी की पिछली धाराओं को रैश ड्राइविंग, लापरवाही से मौत का कारण और जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालकर गंभीर चोट पहुंचाने के संबंध में बदलना चाहिए।

एसआईटी ने पिछले सबूतों का हवाला दिया और अपने आवेदन में कहा, “यह स्थापित किया गया है कि आरोपी की आपराधिक कार्रवाई एक कृत्य या अज्ञानता नहीं थी, बल्कि हत्या के इरादे से एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसके परिणामस्वरूप पांच लोगों की मौत हुई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए।”

इन और कड़े आरोपों को जोड़ने के फैसले की किसानों ने सराहना की है, जिन्हें डर था कि मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा हत्या के आरोपों से बच सकता है, यह देखते हुए कि उसके पिता अजय मिश्रा का केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के रूप में कितना दबदबा है। यहां अजय मिश्रा के बयान ने विरोध को हवा दी थी जिसके बाद किसानों को मंत्री के बेटे की कार ने कुचल दिया था। आशीष भी कुछ समय के लिए अधिकारियों को चकमा देने में कामयाब रहा। इसके बाद बाप बेटे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किसान नेताओं की प्रमुख मांग रही।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, किसानों की कई मांगों को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार स्वीकार कर रही है। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार मिश्रा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनके पद से हटाने की किसानों की मांग को भी स्वीकार करेगी या नहीं।

3 अक्टूबर को तिकोनिया गांव में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के बाद महिंद्रा थार वाहन की चपेट में आने से चार किसानों और स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की मौत हो गयी थी। 7 दिसंबर को जिला अदालत ने भाई पवन कश्यप की याचिका खारिज कर दी, जिसमें मिश्रा पिता-पुत्र की जोड़ी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी थी। पुलिस ने अपनी स्थिति-रिपोर्ट में कहा कि मामले को लेकर प्राथमिकी संख्या 219/2021 पहले ही दर्ज की जा चुकी है।

अब एसआईटी के खुलासे के बाद राजनीतिक पार्टियां सत्ताधारी बीजेपी पर हमलावर हो गयी हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, न्यायालय की फटकार व सत्याग्रह के चलते अब पुलिस का भी कहना है कि गृह राज्यमंत्री के बेटे ने साजिश करके किसानों को कुचला था।

जांच होनी चाहिए कि इस साजिश में गृह राज्यमंत्री की क्या भूमिका थी? लेकिन नरेंद्र मोदी जी किसान विरोधी मानसिकता के चलते आपने तो उन्हें पद से भी नहीं हटाया है।

( सबरंग हिंदी से साभार )

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