27 दिसंबर। स्वराज इंडिया ने देश में नफरत और साम्प्रदायिक भाषणों की हालिया घटनाओं के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इन घटनाओं को अंजाम देने-दिलाने वाली ताकतों के खिलाफ खड़े होने की अपील की है। स्वराज इंडिया ने कहा है कि हरिद्वार में आयोजित सभा, जहां वक्ताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कमजोर करने का आह्वान किया, भारत के खिलाफ एक खुला हमला है। वहीं, देश भर के कई गिरजाघरों में तोड़फोड़ की गयी, और कई स्थानों पर क्रिसमस समारोह को बाधित किया गया। गुरुग्राम में पिछले कई हफ्तों से स्थानीय गुंडे जुमे की नमाज को बाधित कर रहे हैं और स्थानीय मुस्लिम नागरिकों को परेशान कर रहे हैं। कुछ हफ्ते पहले, मध्य प्रदेश के विदिशा में, एक स्कूल पर बजरंग दल के सदस्यों ने हमला किया था।
स्वराज इंडिया ने यह भी कहा है कि सरकारें इन घटनाओं को नजरअंदाज कर रही हैं, और यहां तक कि मौन रूप से सांप्रदायिक ताकतों का समर्थन भी कर रही हैं। उत्तराखंड पुलिस ने अभी तक हरिद्वार सभा के मुख्य आरोपियों, जिसमें इसके आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि भी शामिल हैं, जिनका मुसलमानों और महिलाओं के खिलाफ अभद्र भाषा बोलने का पुराना इतिहास है, के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। गुरुग्राम में दोषियों को पकड़ने के बजाय, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ऐलान किया कि खुले में नमाज बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दो दिन पहले भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या को धर्म परिवर्तन का आह्वान करते देखा गया था।
यह स्पष्ट है कि ये अब अकेली, पृथक घटनाएं नहीं हैं, बल्कि नफरत और साम्प्रदायिकता का एक प्रतिरूप हैं, जो एक स्पष्ट राजनीतिक एजेंडे के साथ पूरे देश में फैलाया जा रहा है। सत्तारूढ़ दल, भारतीय जनता पार्टी, ने उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री सहित, अक्सर ऐसे लोगों को आश्रय और बढ़ावा दिया है।
स्वराज इंडिया की अध्यक्ष सुश्री क्रिस्टीना सैमी ने लोगों से नफरत और साम्प्रदायिकता की ताकतों के खिलाफ खड़े होने और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक मूल्यों की रक्षा करने की अपील की है। स्वराज इंडिया ने उच्चतम न्यायालय से भारत के संवैधानिक सिद्धान्तों के खिलाफ हमले का संज्ञान लेने के लिए भी अपील की है।