5 मई। बीती रात आंदोलनरत महिला पहलवानों के मुद्दे को कवर करने के लिए जंतर-मंतर पहुँचीं पत्रकार साक्षी जोशी के साथ दिल्ली पुलिस ने बदसलूकी की। आधी रात को दिल्ली पुलिस की एक टीम ने धावा बोलकर वहाँ मौजूद साक्षी जोशी को डिटेन कर लिया। उनके कपड़े फाड़े गए। फोन छीनने की कोशिश की गई। ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ ने दिल्ली पुलिस के इस कृत्य की कड़ी निंदा की है।
पीसीआई ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय और ओलंपिक पहलवानों द्वारा चल रहे विरोध प्रदर्शन को कवर करने के दौरान जंतर-मंतर पर बीती रात पत्रकार साक्षी जोशी के साथ हुई बदसलूकी और अवैध हिरासत की हम कड़ी निंदा करते हैं। हम इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की माँग करते हैं।
वहीं इस घटना पर साक्षी जोशी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिखकर दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई की माँग की है। जोशी ने पत्र में कहा है कि मैं अपने पत्रकारिता के धर्म का निर्वहन करने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँची, कि दिल्ली पुलिस के 15-20 अफसरों और पुलिसकर्मियों ने मुझे घेर लिया और रिपोर्टिंग न करने का दबाव बनाया। जब मैंने इसपर सवाल जवाब करना शुरू किया, तो मौके पर मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर हेमंत तिवारी चिल्लाए, कि ये बहुत सवाल कर रही है, इसे हिरासत में ले लो। इसके बाद 5-6 महिला पुलिसकर्मियों ने मुझे घसीटना शुरू किया, मेरे बाल खींचे, मेरे कपड़े फाड़ दिए और मुझे जबरन पुलिस बस में बैठा दिया। 10 मिनट तक पुलिस बस में बैठाए रखने के बाद पुलिस मुझे मंदिर मार्ग थाने ले गई।
रात करीब 2 बजे थाने पहुँचने के बाद उन्होंने मुझे बस से उतार दिया। जोशी ने आगे कहा कि गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लेने के बाद इस तरह रात में सुनसान सड़क पर पुलिस द्वारा अकेले और लावारिस छोड़ देने की ये घटना स्तब्ध करने वाली है। मुझे मेरा काम करने से रोकना पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। ये मेरे मौलिक अधिकारों का हनन और साथ ही अनुच्छेद-19(a) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी का घोर उल्लंघन है। मेरे पास पूरे घटनाक्रम के वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं। सामने आने पर मैं सभी पुलिसकर्मियों को पहचान सकती हूँ।