सरहदी गांधी की पुण्यतिथि पर सद्भावना कार्यक्रम

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20 जनवरी। देश में बढ़ती सांप्रदायिक नफरत और हिंसा के खिलाफ सोसायटी फॉर कम्युनल हार्मनी ने सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा का संदेश देश के कोने-कोने में पहुंचाने का संकल्प लिया है। इसके लिए सोसाइटी फॉर कम्युनल हार्मनी तथा इसके द्वारा गठित 11 सदस्यीय टास्क फोर्स ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक ख़ान अब्दुल गफ्फार ख़ां की पुण्यतिथि 20 जनवरी से लेकर गांधीजी की शहादत और उनकी अंत्येष्टि 31 जनवरी तक देश भर में सर्व धर्म समभाव को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया है।

दो दिन पहले इसकी शुरुआत बादशाह ख़ान की पुण्यतिथि के अवसर पर सोसायटी फॉर कम्युनल हार्मनी तथा खुदाई खिदमतगार संगठन के द्वारा अलग अलग दो ऑनलाइन कार्यक्रम से हुई। सोसाइटी फॉर कम्युनल हार्मनी ने पहला कार्यक्रम संध्या 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे तक आयोजित किया तथा रात्रि 7:00 बजे से 8:00 बजे तक खुदाई खिदमतगार संगठन के द्वारा ऑनलाइन कार्यक्रम किया गया। दोनों कार्यक्रमों में देश भर के युवाओं तथा विभिन्न नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया ।

सोसायटी फॉर कम्युनल हार्मनी के द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो आनंद कुमार ने गांधीजी और ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के आपसी रिश्ते तथा राष्ट्रीय आंदोलन में उनके योगदान के उल्लेख से किया। उन्होंने कहा कि गांधी का सत्य, अहिंसा और सर्व धर्म सद्भाव तथा ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का उसके प्रति जो सर्वस्व समर्पण था उसे अपनाने की जरूरत है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग तथा योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद ने ख़ान अब्दुल गफ्फार ख़ान के साथ भारत में अपनी मुलाकात का बहुत ही भावुक विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि किस प्रकार भारत के विभाजन के विरोध में ख़ान अब्दुल गफ्फार ख़ान डटे हुए थे और विभाजन के फैसले से बहुत निराश थे।

प्रसिद्ध गांधीवादी हिमांशु कुमार ने कहा कि भारतीय समाज की सामाजिक संरचना ही अन्याय के ढांचे पर टिकी है। उनका कहना था कि आदिवासियों के हक और अधिकार की बात जरूरी है और जिस समाज में न्याय नहीं तो शांति भी नहीं हो सकती है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद रवि चोपड़ा ने 1984 के दंगों का आंखों देखा हाल सुनाते हुए आज के दौर में सांप्रदायिक नफरत और नरसंहार की बातों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे के. विजय राव, जो टास्क फोर्स के संयोजक भी हैं, ने आंध्र प्रदेश में गांधीवादी विचार और कार्य को आगे बढ़ाने के अपने अनुभव का विस्तार से वर्णन किया। जेपी फाउंडेशन के सचिव डॉ संत प्रकाश ने कार्यक्रम में मॉडरेटर का कार्य किया।

खुदाई खिदमतगार संगठन के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गांधीजी के पोते तुषार गांधी, प्रसिद्ध मानव अधिकार एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ तथा शिक्षाविद व किसान नेता योगेंद्र यादव ने फ्रंटियर गांधी के योगदान को याद करते हुए उनके कार्यों को लोगों को अपने आचरण में उतारने की बात पर बल दिया। तुषार गांधी ने कहा, जिस कट्टरता के साथ लोग आज नफरत और हिंसा फैलाते हैं, आज उसी शिद्दत के साथ लोगों के द्वारा प्रेम, सद्भावना और भाईचारे को समाज में फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा, तभी हम ऐसी सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली ताकतों का मुकाबला कर सकते हैं। तीस्ता सीतलवाड़ ने आज की कठिन दौर में खुदाई खिदमतगारों को खान अब्दुल गफ्फार खान के शांति, अहिंसा और भाईचारे के संदेश को देशभर में फैलाने के लिए कहा। तीस्ता सीतलवाड़ ने आगे कहा कि नफरत हमेशा एक राजनीतिक हथियार रहा है और आज राज्यसत्ता में बैठे लोग अपने राजनीतिक हित के लिए समाज में नफरत फैला रहे हैं जिनको रोकना जरूरी है।

योगेंद्र यादव ने कहा कि हमें बादशाह ख़ान को श्रद्धांजलि देने के बजाय गांधी के सच्चे अनुयायी सीमांत गांधी के जीवन और कार्य को अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता है। प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। खुदाई खिदमतगार संगठन के फैजल ख़ान ने अंत में सभी के प्रति आभार प्रकट किया और विश्वास दिलाया कि हजारों की संख्या में खुदाई खिदमतगार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक गांधी और ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के बताये रास्ते पर चलकर धार्मिक सद्भाव फैलाएंगे।

– शशि शेखर सिंह
सचिव, टास्क फोर्स

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