24 जनवरी। 22 जनवरी को हम फतेहपुर ब्लॉक (हिमाचल प्रदेश) की पट्टाजातियाँ की पंचायत में मनरेगा में काम कर रहे 20 महिला पुरुष मजदूरों से रूबरू हुए! हमने उनसे जाना कि उन्हें अब तक कितने दिन तक रोजगार मिला है तो सभी ने कहा कि अभी तक उन्हें 50 दिन भी रोजगार नहीं मिला! साथ में हमने जाना कि क्या उन्होंने ई-श्रमकार्ड बनवाया है ! सभी ने श्रमकार्ड बनवाया है! हमने मजदूरों को जागरूक करते हुए कहा कि :
1. मनरेगा कानून के मुताबिक सभी बेरोजगार जिन्हें रोजगार की जरूरत है सरकार को 100 दिन रोजगार देना है और न दे पाए तो जितने दिन कम हैं उन्हें आधी मजदूरी मिलनी है! हिमाचल सरकार साल में 120 दिन रोजगार देने का वायदा करती है!
2. केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत दिहाड़ी 208 रुपये तय की है! हिमाचल सरकार द्वारा बाकी विभागों में मजदूरी 300 रुपये दी जा रही है और दूसरी स्कीम में भी पंचायत के कामों में 250 रुपये मजदूरी मिलती है!
3. मजदूर भी महसूस कर रहे हैं कि मनरेगा में ज्यादातर काम सीमेंटेड यानी कंक्रीट के हो रहे हैं इसलिए मजदूरी का कॉम्पोनेन्ट 20 प्रतिशत ही बचता है जो जब शुरू में मनरेगा की मैंडेट 40 : 60 का रहा है! केंद्र सरकार का यह कदम शुरू में जो पानी संग्रह व जल मिट्टी सरंक्षण का रहा है के विरुद्ध है! इसे पुनः 40 : 60 करने की जरूरत है ज्यादातर काम ग्रामीण क्षेत्र में जल सरंक्षण के ही होने हैं।
हमने मजदूरों को विश्वास दिलवाया कि स्वराज इंडिया ने कोरोना आपदा में मनरेगा के तहत केंद्र सरकार द्वारा 150 दिन रोजगार मुहैया करवाने हेतु सुप्रीम कोर्ट में रिट भी डाली है और हमारा केंद्र व हिमाचल सरकारों से अनुरोध है दैनिक मजदूरी 203 से बढ़ा कर 300 रुपये की जाए! इसकी लड़ाई हम लगातार लड़ रहे हैं! पिछले साल की तरह इस साल भी हम 15 फरवरी 2022 को फतेहपुर तहसील परिसर में 4 घण्टे का मौन अनशन करेंगे!
– डॉ अशोक कुमार सोमल