— सुरेश खैरनार —
शायद देश का वर्तमान माहौल देखकर प्रधानमंत्री को चुनाव प्रचार में जाने से डर लग रहा है, तो उन्होंने संसद के विशेषाधिकार का दुरुपयोग करके, उनके मन में जितना जहर भरा हुआ है उसकी कुछ झलक दिखाई! दो घंटे से भी ज्यादा समय बोलकर अपने विशेषाधिकार का दुरुपयोग किया!
कोरोना के फैलाव के लिए कांग्रेस को कोसते हुए वह भूल गये कि यह एक वैश्विक आपदा थी। फिर संवैधानिक तथा नैतिक रूप से, इस आपदा से निपटने की सर्वप्रमुख जिम्मेदारी किसी व्यक्ति या दल की नहीं, सरकार की होती है! लेकिन भारत सरकार इस आपदा प्रबंधन में विश्व भर में सबसे नाकारा रही है! जिसका प्रमाण वर्तमान चुनावी दंगल वाले भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में देखने को मिला। वहाँ लगभग सभी नदियों में फेंके गये कोरोना से मारे गये लोगों के शवों को देखकर लगा है कि इस प्रदेश की सरकार ने न तो जिंदा लोगों का इलाज किया और न ही उनके मरने के बाद उनके अंतिम संस्कार का इंतजाम किया! उत्तर प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता और लापरवाही साफ नजर आयी!
लेकिन प्रधानमंत्री महोदय, आप किस मिट्टी के बने हो? आपने उत्तर प्रदेश में जाकर वहाँ के मुख्यमंत्री की पीठ थपथपाकर कहा कि भारत में सबसे बेहतरीन कोरोना प्रबंधन अगर किसी ने किया है तो उत्तर प्रदेश की सरकार ने! जैसे बीस साल पहले गुजरात के दंगों में मारे गये लोगों को लेकर, किसी विदेशी मीडिया वाले ने, आपको सवाल पूछा था, तो आपने जवाब में कहा था कि “क्या करें, अगर चलती हुई गाडी के नीचे कोई कुत्ते का पिल्ला आ जाय तो गाड़ी चलानेवाले की क्या गलती है?” यह है आपकी संवेदनशीलता! उन्हीं लाशों को आपने अपना राजनीतिक करियर बनाने के लिए इस्तेमाल किया!
लेकिन आपके उसी गृहराज्य गुजरात के उना में 2015 में, चार दलितों को,शेर के द्वारा मारी हुई गाय का चमड़ा निकालने के जुर्म में, उन्हें रस्सियों से बाँधकर, चलती हुई गाड़ियों के पीछे बाँधकर, उनकी चमड़ी उधेड़ते हुए जुलूस निकाला गया! और उसके वीडियो बनाकर पूरे देश में सोशल नेटवर्किंग साइटों पर प्रसारित किया गया! जैसे आज से बीस साल पहले गोधरा कांड में जली हुई लाशों का खुले ट्रक पर जुलूस निकाला गया!
आपने लोकसभा में जिस कांग्रेस पर दिसंबर 2019 से ही कोरोना फैलाने का आरोप लगाया, उसी कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने लिखित रूप से चेतावनी दी थी कि “भारत में कोरोना महामारी का प्रवेश हो गया है! और सरकार को तुरंत सावधानी बरतने की शुरुआत कर देनी चाहिए!”
लेकिन आपको तो आपके चहेते सनकी डोनाल्ड ट्रंप को अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम (उसके बाद ही स्टेडियम आपके नाम पर किया गया!) में हजारों करोड़ रुपये खर्च करके बुलाना और मजमा जुटाना था (जबकि देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है यह बात आपके आर्थिक सलाहकार भी कह रहे थे!)। आपने अपनी आदत के अनुसार, किसी की भी सलाह नहीं मानी! उस कार्यक्रम से कौन-सा कोरोना का प्रबंधन हुआ?
शायद आपका आपदा प्रबंधन यही होगा कि बगैर किसी इलाज से लोगों को इकट्ठा करो! जैसे बंगाल के चुनाव में आपने दीदी ओ दीदी की मिमिक्री करते किया! कहा कि दुनियावालो देखो, लाखों की संख्या में मेरी सभा में लोग आए हैं! वह भी आपको आपदा प्रबंधन की योजना लगी!
हरिद्वार कुंभ मेले के आयोजन के लिए, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को बदलकर कुंभ में करोड़ों लोगों को इकट्ठा करना भी आपका आपदा प्रबंधन था!
और जिस महाराष्ट्र की बदनामी कर रहे हैं उसी के महामहिम राज्यपाल कोरोना के काल में राज्य के मुख्यमंत्री को, सेकुलर हो गये क्या, जैसे ताना मारकर मंदिर खोलने का आदेश दे रहे थे! और आपके पूर्व मुख्यमंत्री मंदिर खोलने के लिए, कोरोना के बावजूद, आंदोलन कर रहे थे! मतलब आपके द्वारा किया गया हर कार्यक्रम, कोरोना को रोकने के लिए था! और विरोधी दलों की सरकारों ने सिर्फ कोरोना फैलाने का काम किया?
आपने राम के नाम पर राजनीतिक करियर तो बनाया लेकिन उनकी सत्यनिष्ठा को अनदेखा करके! इसी तरह आप सरदार पटेल, स्वामी विवेकानंद, देशगौरव नेताजी सुभाषचंद्र बोस, बाबासाहब डॉ आंबेडकर तथा जयप्रकाश नारायण और डॉ राममनोहर लोहिया को यूपी-बिहार के चुनाव प्रचार में खूब भुनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनके जीवन के तत्त्वज्ञान को छोड़कर!
तब तक विश्व के विभिन्न देशों मे कोरोना का तांडव शुरू हो चुका था, इस तथ्य को अनदेखा करके अमदाबाद के उस स्टेडियम में लाखों लोगों को इकट्ठा करके कोरोना फैलाने की पहली शुरुआत तो आपने की! और उसके तुरंत बाद 23 मार्च को आपने लॉकडाउन की अचानक घोषणा कर दी। जिसके कारण करोड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूरों को अधर में लटका दिया! सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर अपने सामान को अपने सिर पर उठाकर पैदल चलने पर मजबूर किया! शायद बँटवारे के बाद दूसरी बार लोगों को, इतनी बड़ी संख्या में, देश के एक कोने से दूसरे कोने तक, भरी गर्मी में पैदल चलने पर मजबूर किया! उनके लहूलुहान पाँव आज भी आँखों के सामने आ रहे हैं! सैकड़ों लोग कोरोना के अलावा गर्मी, भूख, प्यास से और कुछ ट्रेन से तथा अन्य चलते हुए वाहनों से कुचलकर मरे!
आपने जिस (उत्तर प्रदेश के) मुख्यमंत्री की पीठ थपथपायी उन्होंने अपने प्रदेश के पुलिसकर्मियों के द्वारा सैकड़ों मजदूरों को मेंढक की तरह अपने सामान के साथ कूद-कूदकर चलने की सजा दी! वह चित्र आज भी आँखों के सामने आता है ! अब इस प्रबंधन की तारीफ करनेवाले की संवेदनशीलता को क्या कहना?
और इस अफरातफरी के माहौल में अगर किसी ने कोई मदद कार्य किया तो अपनी अकर्मण्यता छुपाने के लिए! उसकी सराहना करना तो दूर, उलटे उस पर कोरोना फैलाने का आरोप करनेवाले को क्या कहा जा सकता है?
लोकसभा के अपने भाषण में आपने यह नहीं बताया कि बगैर किसी तैयारी के, बगैर कोई पूर्वसूचना दिये लाकडाऊन लगाया था, जैसे अचानक नोटबंदी की थी! नोटबंदी के बाद भी सैकड़ों लोग ठिठुराती ठंड के कारण और सैकड़ों लोग लाकडाउन में झुलसाती गर्मी के कारण मारे गये। फिर भी आप कहते हैं कि कांग्रेस ने कोरोना फैलाने का काम किया!
लाकडाउन जल्दबाजी में घोषित करने की गलती हुई थी, यह कबूल करने की ईमानदारी नहीं दिखाई, और अब कांग्रेस को दोष दे रहे हैं!
और दिल्ली में तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मुख्यालय को दोषी ठहराने की साजिश किसके दिमाग की उपज थी? और उसके साथ पूरे देश के मुसलमानों को भी कोरोना फैलाने के दोषी करार दे दिया! मंदिर-मस्जिद के अलावा, गाय से लेकर हिजाब तक, मतों के ध्रुवीकरण की घटिया राजनीति के लिए!
मालूम है न, सौ साल पहले, इटली और जर्मनी में इस तरह की राजनीति करनेवालों का क्या हश्र हुआ? आज वहाँ उनके नाम लेने तक की मनाही है! और उन दोनों का इस दुनिया से जाने का इतिहास कैसा है?
मशहूर शास्त्रीय गायक बंधु राजन-साजन मिश्रा, आपके लोकसभा चुनाव क्षेत्र वाराणसी से थे! उन्होंने हास्पिटल के गेट के बाहर से, अपनी कार में आक्सीजन के अभाव में तड़पते हुए, आपको फोन किया था कि “मैं अस्पताल के बाहर बेड और इलाज के अभाव में, अपनी कार से आपको फोन कर रहा हूँ, आप कुछ इंतजाम कीजिए!” और भारत के एक बेहतरीन शास्त्रीय संगीत के कलाकार ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया! यह भी कांग्रेस का षड्यंत्र था?
आपको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कोरोना में बेहतरीन काम करते नजर आए तो फिर जरूर आपकी नजर में कुछ दोष आ गया है! क्योंकि उसी क्रम में आपने महाराष्ट्र सरकार पर भी कोरोना फैलाने का आरोप लगाया है! महाराष्ट्र राज्य के पूरे बासठ साल के दौरान शायद ही कोई प्रधानमंत्री होगा जिसने इतना गैरजिम्मेदाराना आरोप महाराष्ट्र जैसे संपूर्ण देश में सबसे ज्यादा टैक्स भारत सरकार को देनेवाले राज्य के ऊपर किया होगा! अगर वहाँ बीजेपी की सरकार होती, तब भी यह आरोप लगाते? इतनी ओछी राजनीति? कम-से-कम अपने पद का तो खयाल रखिए!
इसलिए मैं बहुत ही आत्मविश्वास से कह रहा हूँ कि आप 135 करोड़ जनसंख्या वाले देश की समस्याओं को देखने-समझने में असमर्थ हैं! और यह भारत जैसे विशाल देश के लिए खतरनाक है!
कर्नाटक में लगातार विगत दो-तीन महीने से अल्पसंख्यक समुदायों के प्रार्थना स्थलों पर हमले! और अब हिजाब को लेकर! क्या सचमुच ही बात हिजाब की है? या उन कालेजों के शिक्षकों के चल रहे आंदोलन तथा अन्य कर्मचारियों की भर्ती की बातों से ध्यान भटकाने की कोशिश चल रही है?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में ‘लव जेहाद’ के गुनहगार को एक लाख रुपये तक जुर्माना! और दस साल की सजा! मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन, एमजे अकबर, आडवाणी तथा मुरली मनोहर जोशी की बेटियों की शादियाँ तो मालूम होंगी! यह सिर्फ आपके दल के नेताओं के उदाहरण दे रहा हूँ! वैसे तो देश में और भी उदाहरण हैं!
जिस नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर आपके मन में आदर-प्रेम की बाढ़ आयी हुई है उनके वर्तमान वंशजों में से एक सुमन्त बोस की पत्नी आयशा जलाल, पाकिस्तान के मशहूर बुद्धिजीवियों में शुमार होती हैं! अमजद अली ख़ान, पंडित रविशंकर, मुस्लिम सत्यशोधक के संस्थापक और भारत के मुसलमानों में सुधारवादी आंदोलन चलानेवाले हमीद दलवई की बेटी तथा छोटे भाई पूर्व राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई, शाहरुख ख़ान, आमिर ख़ान! मैं तो यहाँ सिर्फ कुछ मशहूर हस्तियों के नाम ले रहा हूँ।
135 करोड़ आबादी के मुल्क में कम-से-कम करोड़ों की संख्या होगी जिन्होंने अपनी मर्जी से अपने जीवनसाथी का चयन किया होगा और शादीशुदा जिंदगी जी रहे हैं! जयप्रकाश नारायण ने 1973-74 के इतिहास प्रसिद्ध संपूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल होनेवाले अविवाहित युवक-युवतियों को तिलक, दहेज के बगैर और जाति व धर्म के बंधन से मुक्त होकर शादी करने के लिए प्रोत्साहित किया था। और कुछ ने उनसे प्रेरणा लेकर वैसी ही शादी की!
आप लोगों ने आजकल- अपने पास महापुरुषों का अकाल होने के कारण- सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जयप्रकाश नारायण, डॉ राममनोहर लोहिया, डॉ बाबासाहब आंबेडकर जैसे जाति-धर्म से ऊपर उठकर भारत की प्रगति का सपना देखनेवाले लोगों को किस वजह से महिमामंडित करना शुरू किया है?
विश्वगुरु की रट लगाते हुए थकते नहीं हो! और आपके एजेंडे में मंदिर-मस्जिद के अलावा टोपी, गमछा, गाय और चर्चों के ऊपर हमले! और अब यह लव जेहाद का कानून बनाने के बाद भी, विश्वगुरु बनना चाहते हो?
अमरीकी उपराष्ट्रपति एक भारतीय मूल की महिला हैं! वैसे ही ब्रिटिश पार्लियामेंट में तथा कनाडा व कई यूरोपीय के देशों में मेयर या अन्य महत्त्वपूर्ण पदों पर भारतीय मूल के लोगों को देखते हुए नहीं लगता है कि आप लोग इतिहास की घड़ी की सुई उलटी घुमाने में लगे हैं, और सपने देख रहे हैं विश्व गुरु होने के! क्या मति मारी गयी है?
और अंत में, आपके माँ-बाप ने जिन महापुरुष के नाम पर आपको नाम दिया है उनके बारे में यानी नरेंद्र दत्त उर्फ स्वामी विवेकानंद के बारे में। उन्होंने बीसवीं शताब्दी के अंत में (और अपने जीवन अंत में) कहा कि भारत में क्रिश्चियनिटी या इस्लाम का आगमन तलवार-बंदूक के जोर पर नहीं हुआ है! हमारी जाति-व्यवस्था के कंधों पर बैठकर हुआ है!
और सबसे आधुनिक उदाहरण बाबासाहब डॉ आंबेडकर जी! और उनके साथ उनके लाखों अनुयायियों का हिंदू धर्म का त्याग करना और बौद्ध धर्म को स्वीकार करना क्या संदेश देता है? “मैं हिंदू धर्म में पैदा जरूर हुआ हूँ लेकिन मरने के पहले इस धर्म का त्याग अवश्य करूँगा!” वह क्यों इतना बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर हुए?
ढाई-तीन हजार साल पहले के गौतम बुद्ध और भगवान महावीर के उदाहरण इतिहास में मौजूद रहने के बावजूद आप लोग किस तरह की राजनीति – समाज को बाँटने का काम कर रहे हो? और तुर्रा यह कि भारत के असली देशभक्त आप ही हो? भाइयों और बहनो, यह निस्संदेह देशद्रोह है! और अब समय आ गया है कि इन्हें इनकी जगह दिखाई जाए!