24 फरवरी। दिल्ली में अगर वीआईपी मूवमेंट होता है तो उसकी तैयारी पूरे जोर-शोर से की जाती है। इसके लिए तीनों नगर निगम शहर की साफ-सफाई को तो ध्यान रखते ही हैं, जगह-जगह चूने से मार्किंग भी की जाती है। लेकिन पिछले एक साल में तीनों नगर निगमों ने मार्किंग के लिए काफी ज्यादा चूना खर्च कर दिया है। पर्यावरणीय नुकसान का तनिक भी ध्यान रखना जरूरी नही समझा गया।
देश की राजधानी दिल्ली में किसी जगह पर वीआईपी लोगों के आने पर एमसीडी वहां चूना पाउडर से जो मार्किंग करती है, उससे कई सालों से डस्ट प्रदूषण में भारी मात्रा में वृद्धि हो रही है। हर साल लाखों रुपये का चूना मार्किंग के लिए इस्तेमाल होता है। जैसे ही हवा का झोंका आता है, चूना उड़कर डस्ट पल्यूशन का स्तर और बढ़ा देता है।
मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान तीनों एमसीडी एरिया में मार्किंग के लिए अब तक 5,37,300 किलो चूना इस्तेमाल किया जा चुका है। जिसे खरीदने पर करीब 12 लाख रुपये खर्च किए गए।
एमसीडी की रिपोर्ट के मुताबिक ढलावों, कूड़ा घरों या किसी कार्यक्रम स्थल पर चूने से जो मार्किंग की जाती है, उससे डस्ट पल्यूशन में इजाफा होता है। लेकिन, पल्यूशन स्तर में कितनी बढ़ोतरी होती है, इसका अध्ययन करना उपयुक्त ही नही समझा गया। एमसीडी रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूद वित्तीय वर्ष के दौरान नॉर्थ एमसीडी ने मार्किंग के लिए 24,800 किलो चूना पाउडर का इस्तेमाल किया है। इस दौरान साउथ एमसीडी ने 1,50,000 किलो चूना का इस्तेमाल किया और इससे खरीदने में 12 लाख रुपये खर्च किए गए।
वहीं, ईस्ट एमसीडी ने पूर्वी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में किसी कार्यक्रम, ढलावों या कूड़ा रखने वाले जगहों पर मार्किंग के लिए 3,62,500 किलो चूना इस्तेमाल किया। तीनों एमसीडी को मिलाकर अभी तक करीब 5,37,300 किलोग्राम चूने का इस्तेमाल किया जा चुका है।