3 मार्च। दिल्ली में आंगनवाड़ी केंद्र पिछले लगभग तीन और एक महीने से बंद पड़े हैं। जिसकी वजह से इन चाइल्ड केयर केंद्रों में नामांकित 6 साल से कम उम्र के सैकड़ों-हजारों बच्चों को दिए जाने वाले सूखे राशन की आपूर्ति प्रभावित हुई है। गांव कनेक्शन ने इन बंद केंद्रों का दौरा किया और जानने की कोशिश की कि इस बारे में माता-पिता और प्रदर्शनकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का क्या कहना है? एक ग्राउंड रिपोर्ट-
आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद हुए तीन महीने हो गए हैं। अब कृष्णा को अपने तीन पोते-पोतियों की चिंता सताने लगी है। उन्होंने गांव कनेक्शन से कहा, ” पहले बच्चों को पास के आंगनवाड़ी केंद्र से सूखा राशन मिल रहा था। कार्यकर्ता बच्चों को पढ़ा भी रहे थे। लेकिन दिसंबर से सब कुछ बंद हो गया है।” 65 साल की कृष्णा हरियाणा के गुरुग्राम के अशोक विहार में रहती हैं। उनके पोते-पोतियों- प्रतिभा, कोमल और अंश – की उम्र डेढ़ से साढ़े चार साल के बीच है। अब वो अपना सारा समय घर पर बिताते हैं। कृष्णा के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह उन्हें अच्छा खाना खिला सके और प्राइवेट स्कूलों में भेज सके। सूखा राशन न मिल पाने की वजह से इन बच्चों को पेट भर कर खिलाना भी मुश्किल हो गया है। वह काफी चिंतित हैं। राजधानी नई दिल्ली के आली गांव के निवासियों की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। यहां पिछले एक महीने से आंगनवाड़ी केंद्र बंद पड़े हैं। दक्षिणी दिल्ली के आली गांव में रहने वाली 25 साल की समेश देवी अफसोस जताते हुए कहती हैं, “जब आंगनबाड़ी खुली थीं, तो हमें गुड़, चना और दलिया जैसा सूखा राशन मिलता रहता था। लेकिन अब सब बंद हो गया है और हमारे खर्चे बढ़ गए हैं।” उसके चार साल के बच्चे का नाम स्थानीय आंगनवाड़ी (सरकार के चाइल्ड केअर सेंटर) में दर्ज है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल के चलते दिल्ली के कई आंगनवाड़ी केंद्र फिलहाल बंद पड़े है। ये सभी सरकार से अपनी लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करने और मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। हरियाणा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका 8 दिसंबर, 2021 से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। जबकि दिल्ली में इनका विरोध-प्रदर्शन 31 जनवरी, 2022 को शुरू हुआ था, जो अब भी जारी है। सरकार और प्रदर्शनकारी कार्यकर्ता बीच का रास्ता खोजने में विफल रहे हैं और इसका सबसे ज्यादा असर छह साल से कम उम्र के उन बच्चों पर पड़ा है, जिन्हें इन केंद्रों से सूखा राशन दिया जाता था। महामारी के कारण काफी लंबे समय तक बंद रहने के बाद ये आंगनबाडी केंद्र अभी कुछ समय पहले ही खोले गए थे। लेकिन अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते ये एक बार फिर बंद हो गए हैं।
दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की चल रही हड़ताल का नेतृत्व कर रहे दिल्ली राज्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका संघ की अध्यक्ष शिवानी कौल ने कहा, “पिछले हफ्ते 24 फरवरी को, दिल्ली सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने की घोषणा की थी। लेकिन प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं को सरकार का ये प्रस्ताव मंजूर नहीं है। इस प्रस्ताव के अनुसार दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 12,700 रुपये और सहायिकाओं का मानदेय 6,810 रुपये होगा। इसमें कर्मचारियों को हर महीने मिलने वाला 15,00 रुपये का संचार भत्ता भी शामिल है। लेकिन दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पिछले दो साल से संचार भत्ता मिल ही नहीं रहा है। इस तरह से हमारा बढ़ा हुआ वेतन केवल 11,200 रुपये ही है।”
2018 से ही आंगनबाडी कार्यकर्ता मांग करती आ रही हैं कि सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मानदेय बढ़ाने के वादे को पूरा करे। हरियाणा में वर्कर्स और सहायिकाओं के मासिक मानदेय में क्रमश: 1500 रुपये और 750 रुपये की बढ़ोतरी की मांग की जा रही है। आंगनवाड़ी से जुड़ी ये महिलाएं वो फ्रंटलाइन वर्कर हैं, जिन्हें ‘कर्मचारी’ का दर्जा नहीं दिया जाता है। ये सभी महंगाई भत्ते, सेवानिवृत्ति लाभ, सेवा नियम आदि की भी मांग कर रही हैं। फिलहाल हरियाणा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को मासिक मानदेय के रूप में क्रमशः 11,811 रुपये और 6,045 रुपये का भुगतान किया जाता है। दूसरी तरफ दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को हर महीने क्रमश: 9,678 रुपये और 4,839 रुपये दिए जाते हैं। कार्यकर्ताओं की मांग है कि उनका मानदेय बढ़ाकर 25,000 रुपये और 20,000 रुपये प्रति माह किया जाए। हर बार जब भी हम विरोध करते थे, सरकार हमारी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दे देती थी। और हम लौटकर अपने घर चले जाते थे। लेकिन इस बार जब तक हमें ये लिखित रूप में नहीं दिया जाएगा कि मानदेय को तत्काल प्रभाव से बढ़ाया जा रहा है, तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।”
(Gaon connection से साभार)