8 मार्च। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में बेतहाशा उछाल आया है। सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार खुलने के साथ ही कच्चे तेल के दाम में भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजे तक 9.25 फीसदी तक की तेजी हुई। 24 फरवरी के बाद यह दूसरा मौका है जब कच्चा तेल एक दिन में 9 फीसदी तक उछला है।
रूस यूक्रेन की मार दुनिया को महंगाई के रूप में झेलनी पढ़ रही है। कच्चे तेल की कीमत ने अपने पिछले 14 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बाजार खुलने के साथ ही कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गया जो 1 अगस्त 2008 के बाद कच्चे तेल का सबसे उच्चतम भाव है।
24 फरवरी को रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल के दामों में 40 फीसदी की तेजी देखने को मिली है, जिसमें पहले से ही बढ़ रही महंगाई के खतरे को और बढ़ा दिया है। रूस दुनिया में अमेरिका के बाद कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रूस के युद्ध में जाने के बाद से नाटो देशों के प्रतिबंधों के चलते लगभग 65 फीसदी रूसी कच्चा तेल बाजार में नहीं आ रहा है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल रही है। दिग्गज इन्वेस्टमेंट बैंकर जेपी मॉर्गन के मुताबिक यदि रूस की तरफ से कच्चे तेल की आपूर्ति शुरू नहीं होती है तो फिर इस साल के अंत तक कच्चे तेल की कीमत अपने सबसे उच्चतम स्तर 185 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकती है।
भारत के सामने दोहरी चुनौती
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी पर कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है. ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ना भारत के लिए नकारात्मक है। इससे भारत को पहले के मुकाबले कच्चा तेल खरीदने के लिए अधिक विदेशी मुद्रा का भुगतान करना पड़ेगा और महंगे कच्चे तेल के कारण पेट्रोल डीजल की कीमतों में भी वृद्धि हो जाएगी। पहले से ही बढ़ रही महंगाई की रफ्तार को यह और तेज कर देगा। दूसरी तरफ यूएस डॉलर के मुकाबले भारत का रुपया में गिरावट हुई है। भारतीय रुपया आज सोमवार सुबह 10ः23 बजे अपने 2 साल के सबसे न्यूनतम स्तर 76.84 पर कारोबार कर रहा है। रुपए की विनिमय दर गिरने के कारण अब विदेशों से आयात भारत के लिए महंगा हो जाएगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत में खाद्य पदार्थ भी अछूते नही रहे इनके भी दामों में लगातार उछाल आ रहा है। यहाँ तक कि खाद्य तेलों की कीमतों में 20 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अन्य खाद्य सामग्रियों के दामों में भी इजाफा हुआ है। इससे लोगों की रसोई का बजट भी बिगड़ रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल की मुख्य वजह रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा 10 मार्च को आने वाले चुनाव परिणाम माने जा रहे हैं। लोगों का मानना है कि पांच राज्यों के परिणाम किसी भी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में आए, ऐसे में खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल आना मुमकिन है। इस वजह से खुदरा राशन विक्रेता और लोगों ने खाद्य पदार्थों को स्टॉक करना शुरू कर दिया है।
तेल के पदार्थों के दामों में उछाल की वजह रूस-यूक्रेन माना जा रहा है। बड़े राशन विक्रेता विशाल वर्मा ने बताया कि सबसे ज्यादा तेल यूक्रेन से आता है। यूक्रेन से तेल का आयात पूरी तरह बंद हो गया है। ऐसे में दामों में बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है। आने वाले कुछ सप्ताह या महीनों में तेल के दामों काफी इजाफा होगा। इसके साथ ही तेल की बिक्री भी कम हो जाएगी। ऐसे में उनके मुनाफे पर भी असर पड़ेगा सेक्टर-5 के बड़े राशन विक्रेता एसके गुप्ता व डीडी वर्मा ने बताया कि खुदरा दुकानदार अधिक मात्रा में राशन खरीद रहे हैं। खुदरा दुकानदारों ने दुकानों में खाद्य सामग्री स्टॉक करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि चुनाव परिणाम के बाद पूरी संभावना जताई जा रही है कि खाद्य पदार्थों के दामों में उछाल आएगा।
थोक राशन विक्रेता अरुण गोयल ने बताया कि पिछले दो सप्ताह में सबसे ज्यादा जीरे के दामों में उछाल आया है। 180 रुपये प्रति किलो मिलने वाला जीरा अब 230 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। मांग के मुताबिक, जीरा की आपूर्ति नहीं होने से दामों में उछाल आ रहा है। जीरा के दामों में उछाल से ग्राहकों के साथ ही दुकानदार भी परेशान हैं। इसके अलावा महिलाओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण से उबर का जीवन पटरी पर आया था। अब रसोई में इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामग्री के दामों में उछाल आने से रसोई का बजट भी बिगड़ रहा है।