13 मार्च। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के सरगुजा जिले में ग्राम फतेहपुर, साल्ही हरिहरपुर के ग्रामीण आदिवासियों ने परसा कोल ब्लॉक हेतु जबरन भूमि अधिग्रहण एवं फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव को निरस्त करने की मांगों पर पुनः अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन दिनांक 2 मार्च 2022 से शुरू किया है जिसका आज छठवां दिन है।
8 मार्च को धरने को संबोधित करते हुए ग्राम घाटबर्रा की महिला साथी नानदईया बाई ने कहा कि भूपेश सरकार अडानी के साथ है इसलिए हसदेव अरण्य के आदिवासी आंदोलन के लिए मजबूर है। हम किसी भी कीमत पर अपने जंगल जमीन का विनाश होने नही देंगे। राज्य सरकार ने हमारी बात नही मानी तो हम रेल पटरी पर बैठकर आंदोलन करेंगे।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा कि भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट की अनदेखी करके मोदी, भूपेश और गहलोत सरकार सिर्फ अडानी कंपनी के मुनाफे के लिए हसदेव अरण्य के जंगलों का विनाश करना चाहती है। परंतु सरकारें ये क्यो नही समझती कि हसदेव के जंगलों का विनाश छत्तीसगढ़ में तो तबाही लाएगा ही देश के पर्यावरण पर भी इसका गंभीर दुष्प्रभाव पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक मंडल सदस्य आलोक शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार आदिवादियों के साथ किये गए वादों से मुकरते हुए हसदेव अरण्य क्षेत्र के विनाश के लिए मोदी सरकार के साथ खड़ी है। दुखद यह है कि पिछली रमन सरकार में हुए खनन कंपनियों के लिए किए गए सभी गैरकानूनी कार्यो पर भूपेश सरकार मौन है। यह दर्शाता है कि यह सरकार भी पूर्व सरकार की रीति नीति का पालन कर रही है।
धरना को संबोधित करते हैं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सरगुज़ा जिला अध्यक्ष बालसाय कोर्राम ने कहा कि कितने दुख की बात है कि संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी होने के बाद भी हमे अपने जंगल,जमीन, आजीविका संस्कृति और रीति रिवाज बचाने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है । जिन सरकारों को आदिवासियों की रक्षा की भूमिका निभानी थी वह अडानी जैसे कार्पोरेट के हितों को साधने के कार्य कर रही हैं।
ग्राम फतेहपुर के मुनेश्वर ने कहा कि फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जांच और परसा कोयला खनन परियोजना को निरस्त करने की मांग को लेकर ग्राम फतेहपुर में 70 दिनों तक अनिश्चतकालीन धरना किया था। अक्टूबर 2021 में हसदेव अरण्य के सैकड़ो आदिवासी 300 किलोमटर तक पदयात्रा करके रायपुर पहुचे थे। राज्यपाल ने पदयात्रियों से मुलाकात के बाद परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित गाँव के फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जाँच के आदेश मुख्य सचिव को दिए थे, परन्तु चार माह के बाद भी कोई कार्यवाही नही हुई।
(संघर्ष संवाद से साभार)