— अलका तिवारी —
क्या आप नेहरू खानदान की विदुषी रामेश्वरी नेहरू को जानते हैं जिन्होंने स्त्रियों की आवाज बुलंद करने के लिए उन्नीसवीं सदी के आरंभिक दशक में बीस साल तक ‘स्त्री-दर्पण’ नामक पत्रिका निकाली। उस पत्रिका की स्मृति में एक वेबसाइट बनायी गयी है जिसको शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज में लॉन्च किया गया।
प्रख्यात आलोचक डॉ नित्यानंद तिवारी और प्रसिद्ध स्त्री आलोचक डॉ सुधा सिंह तथा कालेज की प्राचार्या डॉ विभा सिंह की उपस्थिति में यह वेबसाइट लांच की गयी। इसकी खासियत यह है कि इसमें ऑडियो, वीडियो, यूट्यूब, पोस्टर, फोटो गैलरी के अलावा विरासत जयंती, जन्मदिन, कविता, कहानी, आलोचना, स्त्री विमर्श, दलित विमर्श, पुस्तक चर्चा के स्तम्भ है। एक ई-पत्रिका का भी स्तम्भ है। लेखकों की पत्नियों पर एक पेज है।
1909 में इलाहाबाद से निकलने वाली यह पत्रिका आजादी की लड़ाई में स्त्रियों के हक की खातिर लड़ने के लिए पहली महत्त्वपूर्ण पत्रिका थी जिसका प्रबंधन पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू करती थीं।
महादेवी वर्मा जयंती की पूर्व संध्या पर इस वेबसाइट को लांच किया गया रहा है। महादेवी जी का नेहरू परिवार से विशेषकर कमला नेहरू से प्रगाढ़ रिश्ता था। वह इलाहाबाद में आनंद भवन में नेहरू दम्पती से मिलती थीं।
1886 में लाहौर में जनमीं रामेश्वरी नेहरू, मोतीलाल नेहरू के भाई बृजलाल नेहरू की बहू थीं। बृजलाल नेहरू एक सिविल सर्वेंट थे। रामेश्वरी जी अखिल भारतीय महिला कान्फ्रेंस की संस्थापक सदस्य थीं। उनकी सेवाओं के लिए पद्मभूषण से नवाजा गया था और उनकी जन्मशती पर एक डाक टिकट भी निकला था। उन्होंने अपनी पत्रिका में स्त्रियों के संघर्ष, उनकी दशा, उनके अधिकार की बात उठायी और बहसें चलायीं।लेकिन इस पत्रिका के ऐतिहासिक योगदान के बारे में हिंदी समाज भूल ही गया था। प्रज्ञा पाठक, गरिमा श्रीवास्तव जैसी अध्येताओं ने उसकी तरफ ध्यान दिलाया। उसकी स्मृति को जीवित वेबसाइट ‘स्त्री दर्पण’ के जरिये हिंदी का उत्कृष्ट साहित्य विशेषकर स्त्री विमर्श से संबंधित साहित्य को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पेश किया जाएगा।
पहले स्त्री दर्पण मंच फेसबुक पर बनाया गया था। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना 2020 में महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर की गयी थी। इस मंच पर अब तक करीब 50 से अधिक भूली-बिसरी और समकालीन लेखिकाओं के जन्मदिन पर समारोह आयोजित किये जा चुके हैं और साहित्य से जुड़ी कई नयी श्रृंखला भी प्रारंभ की गयी। ‘स्त्री दर्पण’ ने कस्तूरबा गांधी, राजेन्द्रबाला घोष, शिवरानी देवी, रामेश्वरी नेहरू, महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, उमा नेहरू, कमला देवी चौधरी, चंद्रकिरण सौनरेक्सा, कृष्णा सोबती, महाश्वेता देवी, इस्मत चुगताई, मन्नू भंडारी जैसी लेखिकाओं से लेकर अनामिका और सविता सिंह के जन्मदिन पर भी कार्यक्रम आयोजित किये। हिंदी साहित्य में पहली बार इतनी लेखिकाओं के जन्मदिन पर कार्यक्रम किये गये।
इसके अलावा “स्त्री दर्पण” ने लेखिकाओं की पत्नियों पर एक श्रृंखला चलायी जिसमें तुलसीदास, रवींद्रनाथ टैगोर, रामचंद्र शुक्ल, मैथिलीशरण गुप्त, शिवपूजन सहाय, बेनीपुरी, जैनेंद्र, गोपाल सिंह नेपाली, रामविलास शर्मा, नागार्जुन, नरेश मेहता, मार्कण्डेय, गिरिराज किशोर, परमानंद श्रीवास्तव से लेकर ज्ञानरंजन, विनोद कुमार शुक्ल, प्रयाग शुक्ल और राजेन्द्र दानी की पत्नियों के जीवन पर आलेख प्रस्तुत किये गये। हमने 25 अफ्रीकी कवयित्रियों की कविताओं के अनुवाद की भी एक शृंखला चलायी। पहली बार इतनी संख्या में अफ्रीकी कविताओं के अनुवाद हिंदी में आए। इन कविताओं का अनुवाद विलास सिंह ने किया और उनका पाठ पारुल बंसल ने किया। साथ ही हमने 25 समकालीन कवियों की कविताओं का पाठ भी आयोजित किया। इसका संचालन अनुराधा ओस ने किया। उसके बाद ‘प्रतिरोध की कविताओं’ की श्रृंखला भी चलायी गयी जिसमें 20 से अधिक महत्त्वपूर्ण कवयित्रियों की कविताएं पेश की गयीं। इसका संयोजन सविता सिंह और रीता दास राम ने किया।
इसके अलावा बांग्ला कवियों की कविताओं के अनुवाद की भी शृंखला हमने पेश की। यह अनुवाद लिपिका साहा ने किये और संयोजन अलका तिवारी ने। इसके अलावा मुक्तिबोध की स्मृति में नौ वरिष्ठ कवियों की प्रेम कविताओं का भी पाठ आयोजित किया गया। इन कविताओं का पाठ सोमा बनर्जी ने किया। साथ ही दिवंगत कवि अज्ञेय, केदारनाथ सिंह, कुॅंवर नारायण विष्णु खरे, मंगलेश डबराल की स्मृति में भी कार्यक्रम आयोजित किये गये। विश्व कवयित्रियों की कविताओं पर भी एक शृंखला आरंभ की गयी। स्त्री दर्पण ने समकालीन कवयित्रियों की प्रेम कविताओं के पाठ की एक सीरीज़ चलायी। इसके अलावा लेखिकाओं के रचना पाठ पर भी कई कार्यक्रम किये। पुस्तक परिचर्चा की शृंखला पारुल बंसल ने की। स्त्री दर्पण ने कई नए प्रयोग किए और लोगों ने उसे सराहा।
इस वेबसाइट पर स्त्री नवजागरण, संविधान सभा में स्त्रियों की भूमिका, आजादी की लड़ाई में उनके योगदान के अलावा कहानी, कविता, उपन्यास, पुस्तक चर्चा, इंटरव्यू, वीडियो, ऑडियो आदि भी होंगे। हर रचनाकार का एक पेज बनेगा जिसमें उनके फोटो, रचनाएँ, परिचय, किताबों के कवर आदि होंगे।