7 अप्रैल। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने फिर दोहराया है कि वह अभी भी हलाल मीट के मामले में बजरंग दल के खिलाफ दिए अपने बयान पर कायम हैं।
उन्होंने कहा, “जाति और धर्म के नाम पर सामाजिक एकता और सामाजिक सद्भाव को नष्ट करने पर आमादा इन अराजक तत्वों के खिलाफ मेरा रुख बिल्कुल स्पष्ट और मजबूत है।” उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के नाम पर माहौल खराब करने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करनेवाले लोगों को बर्दाश्त करने कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
कुमारस्वामी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने विचार साझा करते हुए , राज्य गीत ‘नाडा गीते’ की पंक्तियों को उद्धृत किया। जिसमें उन्होंने कहा, “सर्व जनांगदा शांति तोता” अर्थात कर्नाटक सभी समुदायों के लिए शांति के बगीचे की तरह है, न कि विहिप या बजरंग दल की निजी संपत्ति है। उन्होंने कहा, “ये संगठन और कुछ नहीं बल्कि एक राजनीतिक दल के अनुयायी हैं। इन्हें हिंदुत्व और हिंदू संस्कृति के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि धर्म की रक्षा का मतलब किसी की रोजी-रोटी छीन लेना नहीं है। इसका मतलब है उन्माद नहीं फैलाना, सांप्रदायिक विभाजन नहीं करना। एक राष्ट्र का मतलब है, “लोग और उनकी आकांक्षाएँ।”
उन्होंने विहिप को विश्व विनाशक परिषद न बनने की सलाह देते हुए कहा कि बजरंग दल की विचारधारा आतंकी प्रवृत्ति की नहीं होनी चाहिए। कुमारस्वामी ने कहा कि हिंदू धर्म पीढ़ियों से जीवित है, और भविष्य में भी जीवित रहेगा। उन्होंने इन संगठनों के सदस्यों पर कोविड महामारी के दौरान लोगों की मदद न करने का आरोप भी लगाया, जबकि अन्य लोगों ने अपनी धार्मिक मान्यताओं के बावजूद लोगों की सेवा की। उन्होंने कहा, मैं इन असामाजिक तत्त्वों के खिलाफ कार्रवाई की माँग को लेकर पूरे राज्य में पैदल मार्च भी निकालूँगा।
उन्होंने पूछा कि विहिप कौन होते हैं? यह तय करनेवाले कि किसे क्या खाना चाहिए और किसे अपना व्यवसाय कहाँ करना चाहिए? उन्होंने हिंदू युवाओं से अपील की कि वे इस सांप्रदायिक एजेंडे का शिकार कदापि न हों।
उन्होंने कहा, क्या दुनिया के किसी मुस्लिम देश ने अपने यहां काम करनेवाले लाखों भारतीय हिंदुओं को वापस भेजा है? उन्होंने पूछा, क्या होगा यदि ये राष्ट्र भारतीय हिंदुओं को भारत वापस भेजना शुरू कर दें?