‘बुलडोजर ऑपरेशन’ के बाद जहांगीरपुरी में हाल बेहाल

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22 अप्रैल। अल्लाह के महीने में हम सब को ऐसे बंद करके रखा है, हर तरफ पुलिस है। पानी नहीं है, कहीं बाहर नहीं निकलने दे रहे। हम मुसलमान हैं तो हमें टारगेट कर रहे हैं। जहांगीपुरी की एक तंग गली में खड़ी मेहराऊ जान रुआंसी आवाज में अपना दर्द जाहिर करती है।

जहांगीरपुरी का वो इलाका जहाँ 20 अप्रैल को बुलडोजर चले और 16 अप्रैल हनुमान जयंती के दिन दंगे हुए। वह अब हर तरफ पुलिस से घिरा है।

सी ब्लॉक की तरफ जानेवाली लगभग हर गली पर भारी पुलिस बल तैनात है और बेरीकेड्स लगे हैं। किसी भी बाहरी व्यक्ति को इलाके में जाने की अनुमति नहीं है और स्थानीय लोगों को भी जरूरी कामों के लिए घरों से निकलने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।

हाथ में पानी के केन लिये खड़ी रुखसाना अपने बच्चों को संभालती हुई बताती हैं, कि “घर में पानी नहीं है और पानी भरने के लिए भी नहीं जाने दे रहे हैं। हमने क्या गुनाह किया है, जो हमें हमारे ही घरों में बंद कर दिया है।”

रुखसाना के पास खड़ी महिला ने बताया कि उनकी बेटी को सुबह पेपर के लिए भी नहीं जाने दिया जा रहा था। उन्होंने बताया, “मेरी बड़ी बेटी का आज पेपर था। मैं उसके साथ जा रही थी तो पुलिस ने हमें जाने नहीं दिया। मैंने उनसे बहुत मिन्नतें की और कहा कि अगर नहीं जाने दिया तो इसका पूरा साल खराब हो जाएगा। उसके बाद सिर्फ उसे ही अकेले जाने दिया। मुझे वापस भेज दिया।”

मौके पर तैनात पुलिसकर्मी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम बस अपना काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जरूरी कामों के लिए भी लोगों को जाने नहीं दिया जा रहा। हम बस एहतियात बरत रहे हैं। यह इलाका अभी सेंसिटिव है। हमें जो ऑर्डर मिले हैं हम उनका पालन कर रहे हैं।”

जहांगीरपुरी में स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है। एक ओर लोगों को अपनी दुकानें और रेहड़ियों के टूट जाने का दुख है तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इलाके में तैनात भारी सुरक्षाबल से परेशान हैं। हताश लोग प्रशासन से अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

अकबर की दुकान भी 20 अप्रैल को हुए अतिक्रमण में तोड़ दी गयी। उनकी कोल्ड ड्रिंक की दुकान थी जिसमें तीन फ्रिज रखे थे। उन्होंने बताया, कि NDMC वाले फ्रिज भी अपने साथ ले गए। उनके मुताबिक उनका लगभग 3-4 लाख रुपये का नुकसान हो गया।

अकबर ने बताया, “जब मेरी दुकान तोड़ी जा रही थी, तो मैं ऊपर अपने घर में था। मेरी पत्नी नीचे बुलडोजर को रोकने के लिए गयी थी लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। हमारे पास हमारी दुकान के पूरे कागज हैं। मुझे डर था वे लोग मुझे दंगाई बताकर गिरफ्तार कर लेंगे इसलिए मैं नीचे नहीं उतरा।”

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में एक फैसला सुनाते हुए कहा था, कि इस तरह के अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कम से कम 7 दिन पहले नोटिस देना जरूरी होता है। NDMC के नियमों के मुताबिक भी कम से कम 5 दिन पहले नोटिस देने का नियम है। NDMC के मेयर राजा इकबाल सिंह के अनुसार- “इस इलाके में अवैध निर्माण पर हम काफी समय से कार्रवाई कर रहे थे।”

उन्होंने कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान लिया और फैसला आने पर तुरंत कार्रवाई रोक दी थी। हम आगे भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ही काम करेंगे।”

16 अप्रैल को हुए दंगों को लेकर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने NDMC के मेयर को पत्र लिखकर इलाके में अतिक्रमण करने की माँग की थी।

अतिक्रमण को लेकर अपनाई गई तेजी को लेकर जब मेयर से सवाल किया तो उन्होंने कहा, NDMC ऐसे ही अपनी कार्रवाई करती है। बुलडोजर को लेकर इकबाल ने कहा कि ये तो रुटीन का हिस्सा है। जब भी अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई होती है जो बुलडोजर रहते ही हैं।

पीड़ितों ने दावा किया है कि 16 अप्रैल को हुए दंगों के कारण उनकी दुकानें तोड़ी गयी हैं। और एकतरफा कार्रवाई की गयी है तो इस पर राजा इकबाल ने कहा, ऐसा कुछ नहीं है। अगर ऐसा होता तो गुप्ता जूस वाले की दुकान नहीं टूटती। हमने बिना किसा का धर्म देखते हुए, अपना काम किया है।

(‘दिप्रिंट न्यूज’ से साभार)

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