27 अप्रैल। गुजरात के निर्दलीय विधायक और जाने-माने दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की गिरफ्तारी से क्षुब्ध होकर गुजरात राज्य के स्थापना दिवस अवसर पर अर्थात 1 मई की रात को संपूर्ण गुजरात के 1,000 से अधिक गाँवों के दलित परिवार 15 मिनट के लिए लाइट बंद कर अपना विरोध दर्ज करेंगे। असम पुलिस ने गुजरात पुलिस के साथ मिलकर 20 अप्रैल की देर रात मेवाणी को गिरफ्तार किया था। मेवाणी द्वारा किये गए ट्वीट के आधार पर अंतर-धार्मिक कलह को भड़काने का आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने हाल में हुए सांप्रदायिक हिंसा जैसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया था।
कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, अनुभवी दलित अधिकार नेता मार्टिन मैकवान ने कहा, लगभग 1000 गाँवों में प्रत्येक दलित पुरुष, महिलाएँ और बच्चे गुजरात के मुख्यमंत्री को संबोधित एक याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए इकट्ठा होंगे और उनसे न केवल मेवाणी की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कहेंगे, बल्कि सामान्य माफी के रूप में राजनीतिक कारणों से दलित व्यक्तियों के साथ-साथ हाशिए पर खड़े अन्य वर्गों के खिलाफ स्थापित सभी मामलों को वापस लेने के लिए भी कहेंगे। इन गाँवों में हस्ताक्षर के लिए दलित कार्यकर्ताओं को भेजे गए मसौदा पत्र में कहा गया है, “इस तरह की आम माफी की घोषणा पहले भी की गयी है और इसमें पाटीदार आरक्षण आंदोलनकारी भी शामिल हैं।”
मैकवान ने आगे कहा, “इसी तरह मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बदलने के लिए आंदोलन करनेवाले लगभग 2,000 लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस ले लिया गया था। भीमा कोरेगांव आंदोलन में भाग लेने वालों के खिलाफ भी मामले वापस ले लिये गए थे।”
मेवाणी के साथ हुए व्यवहार को ‘अपमानजनक’ बताते हुए मसौदा पत्र में कहा गया, इसकी संभावना बहुत ही कम है, कि गुजरात के दलित नेता के खिलाफ, असम के एक भाजपा नेता की शिकायत भाजपा नेतृत्व की जानकारी के बिना की गयी थी। पत्र में कहा गया है, कि असम पुलिस गुजरात में ‘दलित अस्मिता का अपमान’ करने के लिए आयी। इस प्रकार पूरे मामले की गहनता से जाँच की जानी चाहिए, और अपमान करनेवाले सभी जिम्मेदार लोगों को मेवाणी से माफी मांगनी चाहिए।
(Counterview.net से साभार)
अनुवाद : अंकित कुमार निगम