गुजरात में भेदभाव, उत्पीड़न झेल रहे मुस्लिम मछुआरों ने सामूहिक इच्छामृत्यु की माँग की

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8 मई। गुजरात उच्च न्यायालय में गुरुवार को एक याचिका दायर की गयी, जिसमें अल्लार खाँ इस्लामिल भाई थिम्मार द्वारा 600 लोगों के लिए इच्छामृत्यु की माँग की गयी, जो पोरबंदर के गोसाबारा आर्द्रभूमि में 100 मुस्लिम मछुआरे परिवारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। समाचार रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने इच्छामृत्यु के लिए अपने और अपने समुदाय के 600 सदस्यों के लिए अनुमति की माँग करते हुए याचिका दायर की।

‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार थिम्मार, पोरबंदर के गोसाबारा आर्द्रभूमि से ताल्लुक रखते हैं, और उन्होंने मछुआरे समुदाय की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर शोक व्यक्त करते हुए याचिका दायर की है। आवेदन गोसबारा मुस्लिम फिशरमेन सोसाइटी की ओर से दायर किया गया है, और आरोप लगाया है, कि “सरकार एक विशेष समुदाय के लोगों को सुविधाएँ प्रदान नहीं करती है।”

रिपोर्टों के अनुसार, मछुआरा समुदाय ने कहा है, कि वे राजनीतिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, इसलिए वे अपने जीवन को समाप्त करने के लिए अनुमति माँग रहे हैं, स्थानीय स्तर से राज्यपाल के पास कई प्रस्तुतियाँ लंबित हैं। याचिकाकर्ता के वकील धर्मेश गुर्जर ने मीडिया को बताया, कि 2016 से गोसाबारा बंदरगाह पर नौकाओं के लंगर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, थिम्मार और उनके समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

थिम्मार ने यह भी आरोप लगाया है, कि अधिकारी धर्म के आधार पर उनके परिवारों को परेशान कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है, कि हिंदू मछुआरों को नियमित रूप से सभी सुविधाएँ दी जाती हैं। याचिका में TNIE की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है, कि समुदाय हमेशा राष्ट्र के प्रति वफादार रहा है, और कभी भी तस्करी जैसी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहा है। समुदाय ने कहा, कि उसने वास्तव में पाकिस्तान और अन्य द्वारा प्रायोजित ऐसी गतिविधियों पर सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी दी थी।

थिम्मार ने इसके लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और पोरबंदर कलेक्टर को भी ज्ञापन भेजा है। समाचार रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा बार-बार अभ्यावेदन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, और इसी वजह से थिम्मार ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की।

(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)

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