9 मई। संयुक्त किसान मोर्चा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा लखीमपुर खीरी हत्याकांड के प्रमुख आरोपी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के सहयोगियों की जमानत की अर्जी को खारिज करने का स्वागत किया है। कोर्ट के आदेश में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के आचरण पर की गयी टिप्पणी के बाद अब अजय मिश्र टेनी के मंत्री पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इस आदेश से यह आशा बॅंधती है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आशीष मिश्र की जमानत रद्द करने के बाद से न्याय का चक्र सही दिशा में घूमने लगा है।
सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ में जस्टिस दिनेश कुमार सिंह के द्वारा अंकित दास, शिशुपाल, सुमित जायसवाल तथा लवकुश की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया गया है। अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने इन अभियुक्तों के द्वारा दी गयी तमाम दलीलों को खारिज करते हुए आरोपियों के राजनीतिक रसूख को रेखांकित किया है और कहा है कि ऐसे में इन्हें जमानत मिलने पर साक्ष्य नष्ट होने तथा गवाहों पर असर पड़ने की आशंका है।
यही नहीं, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अपने आदेश में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना घटित न होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था। यहां गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी एसआईटी ने भी इस मामले में व्यापक षड्यंत्र की बात मानते हुए इसी दिशा में इशारा किया था।
संयुक्त किसान मोर्चा पहले दिन से इस नरसंहार के सूत्रधार के रूप में अजय मिश्र टेनी को नामजद करता रहा है। अब माननीय उच्च न्यायालय की इन टिप्पणियों के बाद तो मंत्री टेनी के मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई बहाना नहीं बचा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी लीगल टीम के अधिवक्ता शशांक सिंह और अमान ख्वाजा को धन्यवाद देते हुए यह उम्मीद जताई है कि आशीष मिश्रा की जमानत की याचिका पर पुनर्विचार करते वक्त भी कोर्ट इन सब तथ्यों का संज्ञान लेगा। उस केस की सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय ने 25 मई की तारीख तय की है।
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