27 मई। मोदी सरकार के इन आठ सालों में दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़े हैं। दलित हत्याओं के मामले बढ़े हैं। दलित महिलाओं पर बलात्कार बढ़े हैं। जातिगत भेदभाव बढ़े हैं। धार्मिक आस्था या धार्मिक भावनाएँ ‘आहत’ होने के नाम पर दलितों पर जुल्मो-सितम बढ़े हैं।
पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी के दलित प्रोफेसर रविकांत चंदन और अब दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर रतनलाल इसका ताजा-तरीन उदाहरण हैं। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के विचारों से प्रभावित होकर संवैधानिक मूल्यों के साथ जब दलित गरिमा से, इज्जत से अपनी जिंदगी जीना चाह रहे हैं, तो मनुवादी मानसिकता वाले दबंग ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। आंबेडकर से तो उन्हें इतनी चिढ़ है कि वे उनकी मूर्ति को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण 26 मई 2022 का ही है जब उत्तर प्रदेश के महोबा में बाबासाहब की मूर्ति तोड़ दी गयी।
इसके अलावा कथित उच्च जाति के कुछ दबंग लोगों का ईगो इस बात को बर्दाश्त ही नहीं कर पाता कि कोई दलित उनके जैसी मूंछे रखें। ये वर्चस्वशाली लोग दलितों की हत्या करने से नहीं चूकते। दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर दुल्हन के यहाँ जाए, ये भी इन्हें बर्दाश्त नहीं। दलित अधिक धन कमाए, अच्छा मकान बनवाए। रौब से रहे। बाइक से या कार से इनके सामने से गुजरे तो उसे नीचा दिखाने से लेकर, उस पर तरह-तरह के अत्याचार ही नहीं बल्कि उसकी हत्या तक कर देते हैं।
दलितों पर इन दबंगों के अत्याचारों की सूची इतनी लम्बी है कि इस पर पूरी पुस्तक ही लिखी जा सकती है। बिहार के बथानी टोला से, महाराष्ट्र के खैरलांजी, हरियाणा के मिर्चपुर, गुजरात के ऊना जैसे अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं। दलितों पर अत्याचारों का ये अंतहीन सिलसिला अभी भी जारी है…. ।
कथित उच्च जाति के दबंगों के लिए दलित महिलाएँ और दलित लड़कियाँ आसानी से टारगेट होती हैं। 23 मई 2022 की ‘हिंदी खबर’ के अनुसार उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में सुनगढ़ी थाने के अंतर्गत एक नाबालिग दलित लड़की को नौकरी दिलाने के बहाने आयुर्वेदिक कॉलेज के क्लर्क संदीप लाला ने न केवल उससे बलात्कार किया बल्कि उसका अश्लील वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल कर बलात्कार करता रहा। अंत में लड़की ने अपनी माँ को बताया तब जाकर, एफआईआर दर्ज हुई और संदीप को गिरफ्तार किया गया। पिछली 11 मई को 26 वर्षीया दलित हरियाणवी गायिका का दो लोगों ने मर्डर कर दिया।
हाल ही में हरियाणा में ‘स्वाभिमान सोसाइटी’ और ‘Equality Now’ ने संयुक्त रूप से सर्वे किया। पिछले 12 वर्षों (2009-2020) की एक सर्वे रिपोर्ट नेशनल हेराल्ड में 25 मई 2022 को प्रकाशित हुई जिसके अनुसार दलित महिलाओं और लड़कियों पर कम से कम 80% यौन हिंसा दबंग जाति के पुरुषों द्वारा की जाती है। हम अक्सर समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि दलितों का मंदिर में प्रवेश निषेध है, दलित दूल्हे को नहीं करने दिया मंदिर में प्रवेश।
दैनिक 7 मई 2022 के जागरण के अनुसार उत्तर प्रदेश के महोबा में घड़े से पानी पिया तो शिक्षक ने छात्रा को पीटा, बात करने गए पिता से अभद्रता कर भगाया। छिकहरा गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में परिसर में रखे घड़े से पानी पीने पर गुस्साए शिक्षक ने छात्रा को बुरी तरह पीटा। रोती बिलखती कक्षा सात की छात्रा घर पहुँची तो उसने स्कूल में हुई आपबीती बयां की। बात करने जब पिता विद्यालय पहुँचे तो शिक्षक ने उनसे भी अभद्रता कर दी। आरोप है, कि उन्हें जातिसूचक शब्द कहकर विद्यालय से भगा दिया। इस घटना को पढ़कर बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के छात्र जीवन का स्मरण हो आया जब उन्हें घड़े से पानी पीने नहीं दिया जाता था क्योंकि वे अछूत थे लेकिन आज इक्कीसवीं सदी में सन 2022 में भी इस तरह की घटनाएं घट रही हैं।
scroll.in की 25 मई 2022 की एक खबर के अनुसार उत्तराखंड में फिर कथित उच्च जाति के बच्चों ने दलित माता के हाथ का खाना खाने से इनकार कर दिया। ऐसा पिछले 5 महीने में दूसरी बार हुआ है। आखिर बच्चों में ये जातिगत भेदभाव के बीज उनके परिवार द्वारा ही उनके कोमल मन-मस्तिष्क में बोए जाते हैं।
अमर उजाला की 23 मई 2022 की खबर के अनुसार अलीगढ़ के सांगवान सिटी में रह रहे अनुसूचित जाति के लोगों ने आंबेडकर जयन्ती के मौके पर भंडारा करने की अनुमति न देने पर अपने घरों पर “यह मकान बिकाऊ है” का बैनर लटका दिया है। उस बैनर में ‘दलित उत्पीड़न से पलायन को मजबूर’ भी लिखा है। सांगवान सिटी में रहनेवाले संतोष कुमार ने बताया कि प्रशासन से हमने आंबेडकर जयन्ती पर पार्क में भंडारा कराने की अनुमति माँगी लेकिन अनुमति तो मिली ही नहीं उलटे पार्क में पानी भरवा दिया गया जिससे कि कार्यक्रम न हो सके। यहाँ हम दलितों का दलित होने के कारण बहुत उत्पीड़न होता है इसी से परेशान होकर हमने अपने मकान पर ये बैनर लगवाए हैं।
अभी देश में जो दौर चल रहा है उससे एक बात तो साफ नजर आती है, कि मनुवादी ताकतों का वर्चस्व दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि दलितों का शोषण, उन पर अन्याय, अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं।
(न्यूज क्लिक से साभार)