15 जून। इन दिनों केजरीवाल सरकार द्वारा तेजी से विज्ञापनों की झड़ी लगाई गयी है। सरकारी खजाने का करोड़ों रुपये लगाकर दिल्ली की जनता को यह बताया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में बहुत विकास किया है, लेकिन धरातल पर इसकी सच्चाई केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों से एकदम उलट है। स्वराज इंडिया के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष नवनीत तिवारी ने कहा कि हमें आर.टी.आई के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि 2015 में जहाँ दिल्ली परिवहन निगम की 4564 बसें थीं, वहीं आज 2022 में 3760 रह गयी हैं, और जिसमें से 3746 बसें चलने की स्तिथि में है, यानी 818 बसें 7 साल में कम हुई हैं। केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में पिछले 7 सालों में दिल्ली परिवहन निगम की बसें बढ़ने की जगह तेजी से घटी हैं।
एक तरफ जहां प्रदूषण और ट्रैफिक जाम को कम करने और हर तरफ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की बात की जा रही है, वहीं केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था और बदहाल होती जा रही है। बसों की संख्या कम होने के कारण यात्रियों को बस स्टैंड पर घंटों इंतजार करना पड़ता है, इस वजह से बस में क्षमता से अधिक संख्या में बदहाल स्थिति में यात्रा करने को दिल्ली की जनता मजबूर है। दिल्ली सरकार 7 साल में एक भी बस नहीं खरीद पायी है। हाल में केंद्र सरकार के सहयोग से कुछ इलेक्ट्रिक बसें लायी गयी हैं। दिल्ली परिवहन निगम पूरी तरह से दिल्ली सरकार के अंतर्गत है जिसमें केजरीवाल सरकार द्वारा इस बदहाल व्यवस्था का आरोप केंद्र सरकार पर भी नहीं फेंका जा सकता।
स्वराज इंडिया केजरीवाल सरकार से माँग करती है, कि करोड़ों रुपया विज्ञापनों पर पानी की तरह बहाने की जगह, दिल्ली परिवहन निगम की बसों की संख्या तेजी से बढ़ाने में लगाया जाए, जिससे प्रदूषण और ट्रैफिक जाम से दिल्ली की जनता को निजात मिले।