24 जून। खाप पंचायत नेताओं और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने हरियाणा में सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना में भाग लेनेवाले युवाओं को “सामाजिक रूप से अलग-थलग” करने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के राजनेताओं और इस योजना का समर्थन करनेवाले कॉरपोरेट घरानों के बहिष्कार की भी घोषणा की है। अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहे हैं, क्योंकि इस योजना में केवल चार साल की सेवा प्रदान की जाएगी, जिसमें से केवल 25 फीसदी को ही रोजगार मिलेगा और बाकी बचे 75 फीसदी को पेंशन लाभ के बिना बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
हरियाणा में रोहतक जिले के सांपला कस्बे में बुधवार को एक बैठक बुलाई गई जिसमें हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के विभिन्न खापों और संयुक्त किसान मोर्चा व अन्य सामुदायिक समूहों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें छात्र संगठनों के सदस्य भी शामिल हुए। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 24 जून को सैनिकों की भर्ती योजना अग्निपथ का विरोध करते हुए पूरे देश में प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं किसान संघर्ष समिति ने नैनीताल, उत्तराखंड के रामनगर में भी संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 24 जून को लखनपुर चौक पर प्रातः 10 बजे अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया है। इस विरोध प्रदर्शन में नौजवानों, किसानों के साथ सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने जनता से भारी संख्या में शामिल होने का आग्रह किया है।
बैठक की अध्यक्षता करनेवाले धनखड़ खाप के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ का कहना है, कि “हम इस भर्ती के लिए आवेदन करनेवालों को सामाजिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि हम उन लोगों का बहिष्कार करते हैं जो इस योजना में आवेदन करने को तैयार हैं।”
“हम इस योजना का बहिष्कार इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि यह देश के युवाओं को एक मजदूर के तौर पर काम पर रख रहा है और इसे ‘अग्निवीर’ का नाम दे रहा है।” एनडीटीवी द्वारा पूछे जाने पर कि क्या आवेदन करनेवालों का बहिष्कार किया जाएगा, उन्होंने कहा कि हम इसे बहिष्कार का नाम नहीं दे रहे हैं, बस समुदाय को ऐसे लोगों से दूरी बनाए रहने का आग्रह कर रहे हैं।
खाप के सदस्यों ने 14 जून को घोषित अग्निपथ योजना का समर्थन करनेवाले कॉरपोरेट घरानों और राजनेताओं के “बहिष्कार” का आह्वान किया है। खाप पंचायत नेताओं और संयुक्त किसान मोर्चा की माँग है, कि योजना के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लिए जाने चाहिए।
(Workers Unity से साभार)