26 जून। पंजाब सरकार द्वारा मजदूर वर्ग की माँगों को अनदेखी करने के खिलाफ दलित खेतिहर मजदूरों ने 24 जून को चंडीगढ़ विधानसभा की ओर मार्च करते हुए धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में मजदूर मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर पंजाब के अलग अलग जिलों से आए हजारों दलित खेतिहर मजदूरों ने भाग लिया।
क्रांतिकारी पेंडु मजदूर यूनियन (KPMU) के राज्य सचिव लखवीर सिंह लोंगोवाल ने कहा, कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने प्रचार किया था, कि उनकी सरकार आने के बाद किसी भी मजदूर वर्ग को हड़ताल पर नहीं जाना पड़ेगा और उनकी हरी कलम बेरोजगारों, किसानों के पक्ष में ही काम करेगी। लेकिन हरी कलम से मुख्यमंत्री मान बेरोजगारों और मजदूरों की तरफ देख भी नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई के कारण मजदूरों का वेतन बढ़ाने के बजाय कम हो गया है। पहले कांग्रेस और अब आप सरकार ने दो साल से मजदूरी दर की सूची भी जारी नहीं की है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर मान सरकार सचमुच मजदूरों की हितैषी है तो मजदूर विरोधी संशोधनों को निरस्त किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने अग्निपथ योजना का भी विरोध किया।
ट्रेड यूनियनों ने कहा, कि विधानसभा चुनाव में बेरोजगारों को सरकार से बहुत उम्मीदें थीं। फिलहाल की परिस्थितियां में पंजाब में मान सरकार के शासन के तीन महीने पूरे होने के बाद भी कोई सकारात्मक प्रतिकिया नजर नहीं आ रही है। आज पंजाब के दलित खेतिहर मजदूर अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। पंजाब खेत मजदूर सभा की प्रदेश महासचिव देवी कुमारी ने कहा, कि कृषि सहित हर क्षेत्र में आधुनिक मशीनरी के आने से दिहाड़ी खेतिहर मजदूरों की आजीविका पर गहरा असर पड़ा है।
साथ ही उनका कहना है, कि राज्य सरकार मनरेगा के तहत काम करनेवाले खेतिहर मजदूरों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी भी उपलब्ध नहीं करा रही है। वहीं मनरेगा मजदूरों को लूटा जा रहा है।
संगठन की मुख्य मांगें :
# धान बोआई की दर कम से कम 6000 रुपये प्रति किलो तय की जाए।
# दलित और भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की दिहाड़ी 700 रुपए की जाए।
# दलित भूमिहीन मज़दूरों के साथ हो रहे भेदभाव को रोका जाए।
# धन की बोआई में यदि मशीनों का इस्तमाल होता है, तो दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार या मुआवजा दिया जाए।
# पंचायत की एक-तिहाई जमीन भूमिहीन ग्रामीण मजदूरों को कम दर पर देने की माँग भी शामिल हैं।
# भूमि सीमांकन अधिनियम से अतिरिक्त भूमि को जब्त कर भूमिहीन गरीबों के बीच सस्ती दरों पर दी जाये।
# दो साल से रुकी हुई दैनिक मजदूरी दर सूची जारी की जाए।
# पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ को केंद्र विश्वविद्यालय बनाने के फैसले को वापस लिया जाये।
# मोदी सरकार द्वारा लाये गए अग्निपथ योजना को तुरंत वापस लिया जाए।
कार्यक्रम में विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने भागीदारी की। मजदूर मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में पंजाब प्रदेश अध्यक्ष भगवंत सिंह सामाओ, क्रांतिकारी पेंडु मजदूर यूनियन (पंजाब), राज्य सचिव लखवीर सिंह लोंगोवाल, पंजाब खेत मजदूर सभा की प्रदेश महासचिव देवी कुमारी, अखिल भारतीय खेत ट्रेड यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष भूप चंद चन्नो, ग्रामीण श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आजाद बलविंदर सिंह जालूर शामिल हुए। आज के धरने को परगट सिंह कालाझार, कृष्ण सिंह चौहान, हरबिंदर सिंह सेमा, राज सिंह खोखर, गुरमेश सिंह, आइसा अध्यक्ष प्रदीप गुरु, विजय भिखी और डीएसओ (पंजाब) के पारदीप नमल, एसएफएस गगनदीप सिंह ने भी सभा को संबोधित किया।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)