3 जुलाई। बकाया वेतन के भुगतान और गैरकानूनी कृत्यों पर रोक लगाने की माँग पर बाल सत्याग्रह के तहत श्रम भवन रुद्रपुर (उत्तराखंड) से कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर पहुँचे बच्चों से भयभीत जिला प्रशासन ने कलेक्ट्रेट के तीनों गेट बंद करवा दिया। भारी बारिश में बच्चे, महिलाएं और मजदूर भीगते रहे, लेकिन डीएम ऊधम सिंह नगर देर रात तक ज्ञापन लेने नहीं पहुँचे। नाराज बच्चों ने रात 9 बजे तीनों गेटों पर ज्ञापन चस्पां कर दिया।
इस बीच 30 जून को नैनीताल उच्च न्यायालय में इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर की तालाबन्दी को गैरकानूनी घोषित कर उत्तराखंड शासन द्वारा दिये आदेश पर प्रबन्धन द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट द्वारा श्रमिक पक्ष एवं उत्तराखंड शासन को जवाब देने को तीन हफ्ते का समय दिया गया है।
बच्चों ने कहा, कि हाईकोर्ट के 1 अप्रैल 2022 को इंटरार्क कंपनी की तालाबन्दी को उत्तराखंड शासन ने 30 मई को गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है। 1 जून को बाल पंचायत के दौरान कुमाऊँ आयुक्त महोदय ने सार्वजनिक रूप से बच्चों को वचन दिया था, कि दो दिनों के भीतर मजदूरों को 3 माह का वेतन भुगतान करा दिया जाएगा और कंपनी खोल सबको काम पर बहाल करा दिया जाएगा। किन्तु अभी तक मजदूरों को न्याय नहीं मिला है। बच्चों ने कहा, कि जिला प्रशासन व श्रम विभाग के असंवेदनशील रवैये के कारण 3 माह से वेतन न मिलने से हमारे पापा समेत 356 मजदूर अपने छोटे-छोटे बच्चों और बूढ़े माता-पिता संग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। हम बच्चों का स्कूल छूटने की नौबत आ गई है।
बच्चों ने कहा, कि इंटरार्क कंपनी के किच्छा प्लांट में प्रमाणित स्थायी आदेशों का उल्लंघन कर करीब 700 कैजुअल मजदूरों की गैरकानूनी भर्ती कर दी गई है। वहीं यूनियन से जुड़े करीब 40 मजदूरों को विगत 3 माह के भीतर झूठे आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया है। अनेकों शिकायतों के बावजूद श्रम अधिकारी प्रबन्धन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
(‘मेहनतकश’ से साभार)