कर्नाटक के सफाई कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

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3 जुलाई। सालों से प्रशासन के सामने पक्की नौकरी की माँग के लिए सर पटकने के बावजूद मूलभूत श्रम अधिकारों से वंचित, कर्नाटक के सारे सफाई मजदूर और पौराकर्मिका शुक्रवार से अनिश्चित काल के लिए हड़ताल पर हैं। ‘द हिंदू’ की एक खबर के मुताबिक हालांकि राज्य सरकार ने साल 2017-18 में सफाई कर्मचारियों को नौकरी पक्की करने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक 54,512 सफाई कर्मचारियों में से सिर्फ 10,755 ही रेगुलर हैं, और बाकी मजदूर बिना किसी सामाजिक सुरक्षा या लाभ के काम करने को मजबूर हैं।

शुक्रवार से अंडरग्राउंड ड्रेनेज वर्कर, कूड़ा इकट्ठा करनेवाले, झाड़ू लगानेवाले, कूड़ा लोड करनेवाले, कचरा गाड़ी के ड्राइवर समेत सारे सफाई मजदूर राज्य के सारे जिलों में डेप्यूटी कमिशनर के ऑफिस के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। बेंगलुरु में सफाई-मजदूर फ्रीडम पार्क में इकट्ठा हुए और धरना प्रदर्शन किया।

पौराकर्मिका यूनियनों की संयुक्त संघर्ष समिति (Joint Struggle Committee) का एकमात्र एजेंडा यही है कि सारी श्रेणियों के सफाई मजदूरों को पौराकर्मिका का दर्जा दिया जाए, चाहे वो जो भी काम करते हों, और उनकी नौकरी पक्की की जाए। उनकी नौकरी रेगुलर होते ही उनका वेतन 40,000 रुपए प्रतिमाह हो जाएगा और उन्हें रहने के लिए क्वॉर्टर, पेंशन और बाकी सुविधाएं मिलने लगेंगी।

यूनियनों की माँग है, कि मजदूरों को रिटायरमेंट पर 10 लाख रुपए, हर महीने 5000 रुपए का पेंशन, हेल्थ कार्ड और परिवार में एक सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने घर, बच्चों के लिए मुफ्त पढ़ाई, समान काम के लिए समान वेतन और सम्मानजनक परिस्थितियों की माँग की है। पौराकर्मिकाओं में ज्यादातर महिलाएं हैं, जिन्हें टॉयलेट, साफ पीने का पानी, मातृत्व अवकाश या मैटरनिटी लीव, रेस्टरूमआदि नहीं मिलते हैं। लेबर डिपार्टमेंट ने 2018 में मजदूरों को ये सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, इसके बावजूद जरूरत के मुकाबले केवल 5 फीसदी रेस्टरूम तैयार हुए हैं।

यूनियन की माँग है, कि ये सारी जरूरतें अगले तीन महीने के अंदर पूरी होनी चाहिए। गृह भाग्य योजना के तहत सिर्फ पर्मानेंट कर्मचारियों को घर दिया गया है, जबकि बाकी 85 फीसदी मजदूरों को बेसहारा छोड़ दिया गया है।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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