8 जुलाई। स्वराज इंडिया पर्यावरण ने वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा हाल ही में अधिसूचित वन (संरक्षण) नियम, 2022 को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि इसके अन्य प्रावधानों के अलावा, जिसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, नए नियम आदिवासियों और अन्य वनवासी समुदायों से परामर्श और सहमति की प्रक्रिया को भी दरकिनार करते हैं। नए नियम के तहत, वनवासियों की सहमति प्राप्त करने, और अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत अधिकारों को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्यों पर थोप दी गई है। वास्तव में, केंद्र सरकार राज्यों द्वारा वनवासियों की सहमति प्राप्त करने से पहले ही वनों की कटाई की अनुमति दे सकती है। यह प्रावधान वनवासियों की पारंपरिक वन भूमि पर उनके अधिकारों की अवहेलना करता है, और वन अधिकार अधिनियम — जिसके तहत ऐसी किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले वन निवासी समुदायों की स्वतंत्र, अग्रिम और अवगत सहमति जरूरी है — का उल्लंघन है। यह पर्यावरण और भारत के घटते वन आवरण के लिए भी खतरा है।
स्वराज इंडिया ने कहा है कि वह अनुसूचित जनजाति और वनवासी समुदायों से उनकी पारंपरिक वनभूमि पर उनके अधिकारों को छीनने के प्रयासों के खिलाफ है। यह और भी आश्चर्यजनक है, जब सरकार महान आदिवासी नेता अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती मना रही है, और प्रधानमंत्री ने खुद उनकी प्रतिमा का अनावरण किया है। हम मांग करते हैं कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन (संरक्षण) नियम अधिसूचना को तुरंत वापस लिया जाए।