14 जुलाई। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) द्वारा शुरू की गई याचिका पर 23 से अधिक राज्यों के 1,400 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर कर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और नर्मदा नव निर्माण अभियान (NNNA) के अन्य ट्रस्टियों पर ‘राष्ट्र-विरोधी’ गतिविधियों के लिए ‘धन के दुरुपयोग’ का आरोप लगाती हुई दर्ज प्राथमिकी (FIR) को तत्काल वापस लेने की मांग की। सरकार के दमनकारी रवैये पर आक्रोश व्यक्त करते हुए, पिछले चार दिनों में देश-भर में बड़ी संख्या में जन आंदोलनों, किसानों और श्रमिक संगठनों, ट्रेड यूनियनों, राष्ट्रीय नेटवर्क, अभियानों और समन्वयों ने एकजुटता दिखाई है। अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
हस्ताक्षरकर्ताओं में सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, वकील, सेवानिवृत्त अधिकारी, स्वतंत्र मीडियाकर्मी, फिल्म निर्माता, नारीवादी, जन संगठनों के प्रतिनिधि, ट्रेड यूनियन, राजनीतिक नेता आदि शामिल हैं, उनमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, प्रो. रूप रेखा वर्मा, ई.ए.एस. सरमा, एडमिरल रामदास, अरुणा रॉय, निखिल डे व शंकर सिंह, अरुंधति रॉय, सुभाषिनी अली, भंवर मेघवंशी, एनी राजा, देवकी जैन, फादर सेड्रिक प्रकाश, अल्का महाजन, होलिराम तेरांग, रोहित प्रजापति, हरसिंग जमरे व माधुरी JADS, कविता कुरुगंती, योगेंद्र यादव, चयनिका शाह, नित्यानंद जयरामन, डॉ. लता पी.एम., साधन सहेली, सुजातो भद्रा, हसीना खान, गीता रामकृष्णन, शबनम हाशमी, आलोक शुक्ला, डॉ. गैब्रिएल डिट्रिच, अनुराधा तलवार, , मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.जी वोम्बटकेरे, सी.आर नीलकंदन, एग्नेस खर्शिंग, पामेला फिलिपोज, प्रो. वाल्टर फर्नांडीज़, रोमा मलिक, बेला भाटिया, डॉ वीना शत्रुघ्न, इरफान इंजिनीर, कल्याणी मेनन सेन, प्रो पद्मजा शॉ, हेनरी टिफागने, डॉ राम पुनियानी, प्रो नंदिनी सुंदर, डॉ. सुगन बरंथ, सागर धारा, प्रणब डोले, डॉ नंदिता नारायण, क्लिफ्टन रोजारियो, डॉ संदीप पांडे, कविता श्रीवास्तव, गुरतेज सिंह, जॉन दयाल, सिराज दत्त, सजया काकरला, मैमूना मोल्ला, प्रो. बीएन रेड्डी, मानशी अशर, प्रदीप चटर्जी, हिमांशु ठक्कर, कलादास डेहरिया, मल्लिका विर्दी, रोहिणी हेन्समैन, संजा काक, एरिक पिंटो, प्रफुल्ल सामंतरा, सुनीता विश्वनाथ, डॉ मीरा शिवा, शलमाली गुट्टल, डॉ शेख गुलाम रसूल, वर्जीनिया सल्दान्हा और कई अन्य व्यक्ति शामिल है।
उन्होंने कहा कि NNNA केवल एक कल्याणकारी ट्रस्ट के रूप में कार्य करता है, जिसने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नर्मदा घाटी के बांध प्रभावित ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शैक्षिक, स्वास्थ्य और संबंधित गतिविधियों को सुसंचालित करने का प्रयास किया है। सभी न्यासी जनहित के लिए तत्पर व्यक्ति हैं और कई स्वयं विस्थापित परिवार से।
उन्होंने यह भी कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन ने पिछले 37 वर्षों में विस्थापित समुदायों को संगठित किया है, और राज्य के दमन और अपराधीकरण के इतिहास के बावजूद, लोगों के संवैधानिक अधिकारों को क़ायम रखने के लिए संघर्ष किया हैं। वर्तमान भाजपा सरकार जन आंदोलनों और कार्यकर्ताओं को उत्पीड़ित करने के लिए एक बार फिर झूठे आरोप लगा रही है।
हस्ताक्षरकर्ता समझते हैं मेधा पाटकर और NNNA ट्रस्टियों के खिलाफ झूठे आरोप और प्राथमिकी, उन मानव अधिकार रक्षकों, नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं, तथ्य-जांचकर्ताओं, छात्रों आदि के खिलाफ उत्पीड़न की निरंतर होड़ का हिस्सा है, जो सत्ता की सच्चाई उजागर कर रहे हैं और इस सरकार की जन-विरोधी चरित्र और हमारे समाज के हाशिए के वर्गों के साथ हो रहे अन्याय पर सवाल उठा रहे हैं। जनहित में काम करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भाजपा सरकार की बदले की भावना से की गयी कार्रवाई की निंदा करते हुए। तथाकथित ‘शिकायतकर्ता’ भाजपा की छात्र शाखा एबीवीपी अ.भा.वि.प. से संबद्ध है।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने उन्होंने मांग किया कि मेधा पाटकर और NNNA के सभी ट्रस्टियों के खिलाफ FIR तत्काल वापस ली जाए। जांच और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। उन सभी कार्यकर्ताओं के संगठित होने के संवैधानिक अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जाए जो अपने जन-समर्थक कार्यों के लिए राज्य के दमन का सामना कर रहे हैं।
(सप्रेस)
सभी 1400 हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची के साथ पूरी याचिका यहाँ पढ़ें:
https://tinyurl.com/yzfh8hcn
हस्ताक्षर के लिए याचिका खुली है:
https://forms.gle/P1D1Q8QoWzEzCoPt7
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
















