सर्व सेवा संघ का 89वां अधिवेशन प्रारंभ : लोकतंत्र को फासीवाद में बदलने से रोकना है

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17 जुलाई। सर्व सेवा संघ का 89वां अधिवेशन रविवार 17 जुलाई को सूरत (गुजरात) के दादा भगवान मंदिर परिसर में प्रारम्भ हुआ। शुरुआत में सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, महामंत्री गौरांग महापात्र, मंत्री अरविंद कुशवाहा तथा केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचन्द्र रही ने गांधी, विनोबा व जयप्रकाश नारायण के चित्रों पर सूत-माला अर्पित की तथा तुलसी के पौधे को जलांजलि देकर विधिवत अधिवेशन का प्रथम सत्रारम्भ हुआ। परंपरा के मुताबिक पिछले अधिवेशन के बाद जो साथी नहीं रहे, उनके सम्मान में पूरे सदन ने खड़े होकर दो मिनट मौन रहकर सामूहिक श्रद्धांजलि अर्पित की।

अधिवेशन का उदघाटन करते हुए वरिष्ठ गांधीवादी नेता रामचन्द्र राही ने कहा कि 1952 में भूदान शुरू हुआ और उसी समय पंचवर्षीय योजना भी प्रारंभ हुई। 1956 में धीरेन्द्र मजूमदार के संपर्क में आया। नई तालीम और नए समाज रचना की सशक्त भूमिका बन रही थी। सर्वोदय संयोजन का खाका तैयार किया गया था। शंकरराव देव इस समिति के अध्यक्ष तथा रवीन्द्र वर्मा ड्राफ्ट लेखक थे। सर्व सेवा संघ उस वक्त अत्यंत गहराई से राष्ट्र निर्माण के मुद्दे पर सक्रिय था।

विनोबा ने कहा है कि हर प्रकार की राज्य व्यवस्था की बुनियाद में हिंसा व्याप्त है। भूदान अहिंसक समाज निर्माण का उद्यम था। लोकतंत्र तो तब सफल होगा जब लोक की चेतना प्रबल होगी और उसमें व्यवस्था को नियंत्रित करने का सामर्थ्य भी विकसित होगा। गांधीजी ने नैतिक शक्ति को जागृत कर स्वतंत्रता को मुकाम पर पहुंचाया था। परंतु आज भी नैतिकता और क्रूरता के बीच संघर्ष जारी है। गांधीजी ने कहा था कि सैन्यशक्ति पर लोकशक्ति की विजय से ही लोकतंत्र की स्थापना होगी।

आजादी के तुरंत बाद के चुनाव में राजा हार गए और रंक जीत गया। रंक को मजबूत बनाने के सारे सरंजाम को कमजोर किया जा रहा है। गांधी स्मृति और दर्शन समिति ने अपनी अन्तिम जन में पत्रिका काज्ञसावरकर विशेषांक निकालकर संस्था को दूषित किया है। जो सावरकर को मानते हैं वे उनके के पक्ष में स्वतंत्र रूप से भूमिका लें, गांधी की आड़ लेकर सावरकर को महिमामंडित न करें।

लोकतंत्र को फासीवाद में बदलने नहीं देना है। जनता को निरीह और भिखमंगा नहीं बनने देना है। आत्मसम्मान से भरपूर जागरूक जनमत का निर्माण करने का लक्ष्य हमारे सामने है।

इससे पहले देश-विदेश से आए अतिथियों और अभ्यागतों का स्वागत करते हुए सामाजिक चिंतक प्रकाश भाई शाह ने कहा कि सरदार पटेल को बड़ा दिखाने के लिए एक बड़ी प्रतिमा स्थापित कर दी गयी पर सवाल प्रतिमा का नहीं प्रतिभा का है। जो प्रयोगवीर होते हैं वे सफल या असफल हो सजते हैं। पर हर प्रयोग कुछ न कुछ सबक दे जाता है और आप चंद कदम आगे बढ़ते हैं। राष्ट्र को परिपक्व होने की कीमत चुकानी पड़ती है। प्रयोगों से किसी को लाभ मिलता है तो किसी को अनुभव मिलता है।

आज का दौर विलक्षण है। मो जुबैर, तीस्ता सीतलवाड़, हिमांशु कुमार, मेधा पाटकर एक सचेत नागरिक की भूमिका अदा कर रहे थे लेकिन अब वे राष्ट्रद्रोही, राजद्रोही बन गए हैं।व्हिसल ब्लोअर अपराधी बताए जा रहे हैं। राज्य प्रतिष्ठान एक विकृति को स्थापित करना चाहता है। गांधी ने जलते हुए महल में रहकर उसकी आग बुझाने का हुनर हमें सिखाया है। इसी दुनिया में रहना है उसे गढ़ना है। विनोबा, जेपी ने किया है।

इसी सत्र में सर्व सेवा द्वारा वर्ष 2021 के लिए प्रसिद्ध सर्वोदयी सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम बोरा मोकाशी को अहिंसक समाज रचना में उल्लेखनीय योगदान के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्हें *गांधी पुरस्कार* से सम्मानित किया गया। उन्हें एक लाख रु. की राशि भी दी गई।

इस अवसर पर पुरस्कार के प्रेरक गांधीवादी मदन मोहन वर्मा ने कहा कि बुद्ध और गांधी भारत की आत्मा हैं। इन्हें मारने की कोशिशें हो रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो देश मर जाएगा। मदन मोहन वर्मा ने गांधी विचार प्रचार के लिए अबतक गांधीजी की 40 हजार पुस्तकों का निशुल्क वितरण किया है।

श्रीमती मोकाशी ने कहा कि साधनों के संग्रह से सुख मिल सकता है, खुशी नहीं। समाज में शांति स्थापना हमारा परम लक्ष्य है।

सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष श्री चंदन पाल ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दावा करते हुए परिहास चल रहा है। मेधा पाटकर, हिमांशु कुमार, मो जुबैर, तीस्ता सीतलवाड़ इसी प्रहसन के ताजा शिकार बने हैं। हम लोकतंत्र पर आए संकट को मौन रहकर देख नहीं सकते।

– उत्तम परमार

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