समता, न्याय और संवैधानिक अधिकारों पर भोपाल में जन सुनवाई

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19 जुलाई। मध्य प्रदेश के करीब 24 जिलों के करीबन 50 युवा /बुजुर्गों ने किसानी, श्रमिक अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा जल, जंगल, जमीन और जाति- सांप्रदायिकता के आधार पर हिंसा आदि पर गहरी जन सुनवाई सम्‍पन्‍न हुई। जन सुनवाई से यह बात सामने आई है कि मध्य प्रदेश शासन शराब का ही नहीं धर्मांधता का भी नशा फैला रहा है। अस्तित्व के सवालों पर सुनवाई और शासकीय अधिकारी, जन प्रतिनिधि और संस्थाएँ कोई जवाब मध्यप्रदेश में नहीं दे रहे हैं। जनसुनवाई में ज्यूरी ‘न्यायदाता पैनल’ के रूप में वरिष्‍ठ पत्रकार एवं जाने माने लेखक परंजय गुहा ठाकुरता, मानवाधिकार विशेषज्ञ इरफान इंजीनियर, पर्यावरणविद सुभाष सी. पांडे शामिल थे। न्यायदाता मण्डल ने आश्‍वस्‍त किया कि उनकी रिपोर्ट निश्चित ही सभी हकीकतों, स्थानीय से राष्ट्रीय तक की स्थिति का विश्लेषण और शासन तथा समाज के समक्ष सुझाव सिफ़ारिश और आगे की दिशा भी प्रस्तुत करेंगी।

जन सुनवाई का आयोजन प्रदेश के जन संगठनों नर्मदा बचाओ आंदोलन, किसान संघर्ष समिति, जन आंदोलनों का राष्‍ट्रीय समन्‍वय, लोकतांत्रिक अधिकार मंच, किसान जागृति संगठन, जिंदगी बचाओ अभियान, बरगी बांध विस्‍थापित और प्रभावित संघ, मध्‍यप्रदेश ने संयुक्‍त रूप से किया था।

जन संगठनों के प्रमुख मेधा पाटकर, आराधना भार्गव , राजकुमार सिन्हा, डॉं. सुनीलम, विजय कुमार, अमूल्य निधि ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जन सुनवाई में राज्य व केंद्र सरकार की तमाम जनविरोधी नीतियों सहित भूमि अधिग्रहण, विस्थापन और बड़े बांधों के खिलाफ मध्यप्रदेश के जनसंगठनों ने लगातार अपनी आवाज बुलंद की है। लेकिन इन तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुये प्रदेश सरकार लगातार तथाकथित विकास परियोजनाओं के नाम पर लोगों को उजाड़ रही है। साथ ही स्वास्थ्य की शिक्षा लोगों से दूर होते जा रही हैं। प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है और सांप्रदायिक भाईचारा लगातार खराब हो रहा हैं ।

प्रदेश के जन संगठनों ने इस सभी मुद्दों पर सरकार से संवाद करने की लगातार कोशिश पिछले कई सालों में निरंतर की हैं, परंतु संवादहीनता मध्यप्रदेश सरकार की विशेषता बन चुका है। प्रदेश सरकार लोकतांत्रिक तरीके से आवाज़ उठाने वाले जनसंगठनों और लोगों की आवाज़ सुनने को तैयार नहीं है। कानून और संवैधानिक मूल्यों के आधार पर, अहिंसा और सत्याग्रह के रास्ते संघर्ष करने वाले सभी जनसंगठन और समुदाय चाहते है कि उनकी सुनवाई हो, उन्हें न्याय मिले।

जब जनता की चुनी हुई सरकार जनता से अपना मुंह फेर ले तो ऐसे समय में जरूरी हो जाता है कि जनता अपनी जनसुनवाई खुद करे। इसी के चलते प्रदेश जनसंगठनों ने मिलकर भोपाल में प्रदेश स्तरीय जनसुनवाई का आयोजन चार सत्रों “जल, जंगल, जमीन और विस्थापन”, “सांप्रदायिकता/हिंसा/मानवाधिकार हनन”, “खेती किसानी/मजदूर अधिकार” और स्वास्थ्य / शिक्षा/ रोजगार के तहत की गई।

‘न्यायदाता पैनल’ के समक्ष मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, विदिशा, हरदा, रीवा, सिहोर, देवास, इंदौर, रायसेन, भोपाल, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सागर, छतरपुर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, राजगढ़, नीमच, बेतुल, गुना, खरगोन आदि जिलों से आये सैकड़ों किसान, मजदूर, शहरी गरीब, महिलाएं, शामिल हुए और अपनी हकीकत न्‍यायदाता पैनल के समक्ष रखी। पीड़ितों / प्रभावितों ने लिखित शिकायतें भी प्रस्तुत कीं।

जन सुनवाई की शुरुवात में  अभिभाषक सुश्री आराधना भार्गव द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया गया। प्रथम सत्र “जल, जंगल, जमीन और विस्थापन” का संचालन मेधा पाटकर द्वारा किया गया जिसमें नर्मदा बचाओ आंदोलन के विजय भाई, बारगी विस्थापित संघ के शारदा यादव, बाला पटेल छिंदवाड़ा, जिंदगी बचाओ अभियान के रामप्रसाद काजले के साथ ही साथ चेतन कुंम्हारे,संदीप यादव, पुष्परज, डॉ संतोष,  पूजा ने भी विस्थापन, जल, जंगल, जमीन अधिकारों के हनन के मामले पैनल के समक्ष प्रस्तुत किए।

द्वितीय सत्र “सांप्रदायिकता/हिंसा/मानवाधिकार हनन” पर हुआ , इसका संचालन विजय कुमार द्वारा किया गया। इस सत्र में खरगोन से आए अब्दुल मालिक, मोहम्मद जफर, इंदौर, राकेश मिश्रा, वाशीद भोपाल, मोहन इंगले, जावेद भाई हरदा, शाहिद मंसूरी उज्जैन ने सांप्रदायिक उन्माद और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में प्रस्तुति दी।

तीसरा सत्र स्वास्थ्य / शिक्षा/ रोजगार पर हुआ, जिसका संचालन अमूल्य निधि ने किया। इस सत्र में सिलिकोसिस पीड़ित संघ के दिनेश रायसिंह, कलु भाई और माधवी ने सिलिकोसिस पीड़ितों की बात रखी। सत्र में आदिवासी दलित मोर्चा के विनोद पटेरिया ने आदिवासी स्वास्थ्य के मुद्दे पर बात रखी। छत्र संगठन के सुमेर सिंह ने बेरोजगारी के बारे में, शिक्षा की स्थिति के बारे में राजकुमार भाई ने अपनी बात रखी।  इसी सत्र में बुंदेलखंड जीविका संगठन के डॉ वर्मा और सम्राट अशोक शक्ति संगठन की रंजना कुशवाहा और भारती परोचे ने भी बातें रखी।

चौथे सत्र “खेती किसानी/मजदूर अधिकार” का संचालन डॉ. सुनीलम ने किया। इस सत्र में श्रमिक जनता संघ के संजय चौहान, शहरी मजदूर संगठन, भोपाल की सरस्वती के साथ ही देवीसिंह भाई धार, दिलीप शर्मा छतरपुर, इंद्रजीत सिंह रीवा, संदीप ठाकुर सागर, शारदा यादव, एडवोकेट आराधना भार्गव ने अपनी बात रखी।

सत्रों में भागीदारों की प्रस्तुति के बाद संचालकों ने संक्षिप्त में सदन के समक्ष सभी सत्रों का सार संक्षेप रखा। कार्यक्रम की अंतिम कड़ी के रूप में सभी सत्रों के पैनल सदस्यों ने अपनी बात रखते हुए प्रस्तुत सभी मामलों को सरकार के समक्ष मजबूती के साथ रखने की बात कही। कार्यक्रम में विधायक मस्कले भी शामिल हुए और उन्होंने लोगों की मांगों का समर्थन किया।

(सप्रेस)

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